ना स्वर हैं, ना सरगम हैं, ना लय न तराना है। बजरंग के चरणो में एक फूल चढ़ाना है॥ तुम बाल समय में प्रभु, सूरज को निगल डाले, अभिमानी सुरपति के, सब दर्प मसल डाले, बजरंग हुए तब से, संसार ने जाना है। बजरंग के चरणो में एक फूल चढ़ाना है॥ जब राम नाम तुमने, पाया ना नगीने में, तुम …
Read More »Hanumaan
मंगल मूरति मारुतनंदन जय हनुमान
मनोजवम मारुत तुल्य वेगम, जितेंद्रियम बुद्धिमतां वरिष्ठं वातात्मजं वानारायूथ मुख्यम, श्रीराम दूतं शरणम प्रपद्धे || मंगल मूरति, मारुतनंदन, भक्तविभूषण जय हनुमान सकल अमंगल, मूल निकंदन, संकट मोचन जय हनुमान || (जय हनुमान – जय हनुमान ) – २ (जय हनुमान -जय हनुमान, जय हनुमान -जय हनुमान) – २ पवन तनय संतन हितकारी, ह्रदय बिराजत अवधविहारी राम लखन सीता श्री …
Read More »भगवान हनुमान के चरित्र से शिक्षा
सचिव कैसा होना चाहिए और उसे सचिव धर्म का पालन किस प्रकार करना चाहिए, इसका उत्तम उदाहरण श्रीहनुमान जी ने दिखाया है । महाबली वाली के दुरत्यय आघात के कारण सुग्रीव को त्रैलोक्य में कहीं ठिकाना नहीं रह गया था । ऐसे दीन, निराश्रय जन का साथ देकर महाबली वाली से वैर मोल लेना मामूली बात नहीं थी । ऐसी …
Read More »सुंदरकांड का धार्मिक महत्त्व क्यों ?
सुंदर कांड वास्तव में हनुमान जी का कांड है । हनुमान जी का एक नाम सुंदर भी है । सुंदर कांड के लिए कहा गया है – सुंदरे सुंदरे राम: सुंदरे सुंदरीकथा । सुंदरे सुंदरे सीता सुंदरे किम् न सुंदरम् ।। सुंदर कांड में मुख्य मूर्ति श्री हनुमान जी की ही रखी जानी चाहिए । इतना अवश्य ध्यान में रखना …
Read More »भक्त हनुमान
हनुमान जी महाराज भगवान के परम भक्त थे । उनमें तीन बात विशेष थी – 1. भगवान के चरणों में रहते थे । भगवान को छोड़कर एक क्षण भी अलग नहीं होना चाहते थे । जब भगवान की आज्ञा होती थी, तभी भगवान की आज्ञा पालन के लिये चरणों से अलग होते थे । 2. जब भगवान की आज्ञा हो …
Read More »परमभक्त हनुमान्
हनुमान् जी महाराज भगवान् के परम भक्त थे। उनमें तीन बात विशेष थी- १- भगवान् के चरणों में रहते थे। भगवान् को छोड़कर एक क्षण भी अलग नहीं होना चाहते थे। जब भगवान् की आज्ञा होती थी, तभी भगवान् की आज्ञा पालन के लिये चरणों से अलग होते थे। २- जब भगवान् की आज्ञा हो गयी तो साथ में रहने …
Read More »श्री हनुमान क्यों हुए सिंदूरी
कहा जाता है जब रावण को मारकर राम जी सीता जी को लेकर अयोध्या आए थे। तब हनुमान जी ने भी भगवान राम और माता सीता के साथ आने की जिद की। राम जी ने उन्हें बहुत रोका। लेकिन हनुमान जी थे कि अपने जीवन को श्री राम की सेवा करके ही बिताना चाहते थे। श्री हनुमान दिन-रात यही प्रयास …
Read More »जय जय बजरंगी महावीर
जय जय बजरंगी महावीर तुमबिन को जन की हरे पीर अतुलित बलशाली तव काया , गति पिता पवन का अपनाया शंकर से देवी गुन पाया शिव पवन पूत हे धीर वीर जय जय बजरंगी महावीर —– दुखभंजन सब दुःख हरते हो , आरत की सेवा करते हो , पलभर बिलम्ब ना करते हो जब भी भगतन पर पड़े भीर जय …
Read More »मेरी विनती सुनो हनुमान, धरू तेरा ध्यान
मेरी विनती सुनो हनुमान, धरू तेरा ध्यान, पवन का प्यारा, अंजनी का लाल दुलारा, मेरी विनती सुनो हनुमान, धरू तेरा ध्यान, पवन का प्यारा, अंजनी का लाल दुलारा, सिर मुकुट गले फूलमाला, और लाल लंगोटे वाला, धारे कुंडल झलके कान, चंद्रा उजियाराम सिर मुकुट गले फूलमाला, और पवन का प्यारा वाला, धारे कुंडल झलके कान, चंद्रा उजियाराम, अंजनी का लाल …
Read More »आरती की जाई हनुमान लाला की, दुष्ट दालान रघुनाथ कला की
आरती की जाई हनुमान लाला की, दुष्ट दालान रघुनाथ कला की, जानके बाल से गिरिवर काँपे, रोग दोष भय निकट ना झाँके, अंजनी पुत्रा महाबल डाई, संतान के प्रभु सदा सहाइ, दे बाइयरा रघुनाथ पताए, लंका जारी सिया सुध लाए, आरती की जाई हनुमान लाला की, दुष्ट दालान रघुनाथ कला की, जानके बाल से गिरिवर काँपे, रोग दोष भय निकट …
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