सीता जी की आरती सीता बिराजथि मिथिलाधाम सब मिलिकय करियनु आरती। संगहि सुशोभित लछुमन-राम सब मिलिकय करियनु आरती।। विपदा विनाशिनि सुखदा चराचर,सीता धिया बनि अयली सुनयना घर मिथिला के महिमा महान…सब मिलिकय करियनु आरती।।सीता बिराजथि… सीता सर्वेश्वरि ममता सरोवर,बायाँ कमल कर दायाँ अभय वर सौम्या सकल गुणधाम…..सब मिलिकय करियनु आरती।। सीता बिराजथि… रामप्रिया सर्वमंगल दायिनि,सीता सकल जगती दुःखहारिणि करथिन सभक …
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मां गंगा का धरती पर जन्म (Birth of maa Ganga on the Earth)
शास्त्रों के अनुसार माना गया है कि महाराजा भगीरथ ने अपने पूर्वजों का उद्धार करने के लिए कठोर तप किया था और धरती के पाप कम करने के लिए मां गंगा को धरती पर लेकर आए थे. मां के जन्म की कथा बहुत ही प्रसिद्ध और पावन है. इसे सुनने से भी मां का आशीर्वाद भक्तों पर बना रहता है. …
Read More »श्री कृष्ण चालीसा
श्री कृष्ण चालीसा (Shri Krishna Chalisa in Hindi) ॥दोहा॥ बंशी शोभित कर मधुर, नील जलद तन श्याम। अरुण अधर जनु बिम्बफल, नयन कमल अभिराम॥ पूर्ण इन्द्र, अरविन्द मुख, पीताम्बर शुभ साज। जय मनमोहन मदन छवि, कृष्णचन्द्र महाराज॥ जय यदुनंदन जय जगवंदन।जय वसुदेव देवकी नन्दन॥ जय यशुदा सुत नन्द दुलारे। जय प्रभु भक्तन के दृग तारे॥ जय नटनागर, नाग नथइया॥ कृष्ण …
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यदि दुनिया में कोई महान राजनीतिज्ञ कभी हुआ था तो वे थे आचार्य चाणक्य, यही कहती है सारी दुनिया और यही मानते हैं सभी लोग। चाहे प्राचीन काल हो या आज का युग, आज भी लोग एक महान राजनीतिज्ञ बनने के लिए आचार्य चाणक्य द्वारा बताए गए उसूलों पर चलना चाहते हैं। यह दुनिया उनसे एक सफल इंसान और बुद्धिमान …
Read More »चाणक्य नीति : दसवां अध्याय (Chanakya Niti: tenth chapter)
जिसके पास धन नहीं है वो गरीब नहीं है, वह तो असल में रहीस है, यदि उसके पास विद्या है. लेकिन जिसके पास विद्या नहीं है वह तो सब प्रकार से निर्धन है. हम अपना हर कदम फूक फूक कर रखे. हम छाना हुआ जल पिए. हम वही बात बोले जो शास्त्र सम्मत है. हम वही काम करे जिसके बारे …
Read More »चाणक्य नीति: नवां अध्याय (Chanakya Niti eighth chapter)
तात, यदि तुम जन्म मरण के चक्र से मुक्त होना चाहते हो तो जिन विषयो के पीछे तुम इन्द्रियों की संतुष्टि के लिए भागते फिरते हो उन्हें ऐसे त्याग दो जैसे तुम विष को त्याग देते हो. इन सब को छोड़कर हे तात तितिक्षा, ईमानदारी का आचरण, दया, शुचिता और सत्य इसका अमृत पियो. वो कमीने लोग जो दूसरो की …
Read More »चाणक्य नीति: आठवां अध्याय (Chanakya Niti eighth chapter)
नीच वर्ग के लोग दौलत चाहते है, मध्यम वर्ग के दौलत और इज्जत, लेकिन उच्च वर्ग के लोग सम्मान चाहते है क्यों की सम्मान ही उच्च लोगो की असली दौलत है. दीपक अँधेरे का भक्षण करता है इसीलिए काला धुआ बनाता है. इसी प्रकार हम जिस प्रकार का अन्न खाते है. माने सात्विक, राजसिक, तामसिक उसी प्रकार के विचार उत्पन्न …
Read More »चाणक्य नीति: सातवां ध्याय (chanakya niti:seventh chapter)
एक बुद्धिमान व्यक्ति को निम्नलिखित बातें किसी को नहीं बतानी चाहिए .. १. की उसकी दौलत खो चुकी है. २. उसे क्रोध आ गया है. ३. उसकी पत्नी ने जो गलत व्यवहार किया. ४. लोगो ने उसे जो गालिया दी. ५. वह किस प्रकार बेइज्जत हुआ है. जो व्यक्ति आर्थिक व्यवहार करने में, ज्ञान अर्जन करने में, खाने में और …
Read More »चाणक्य नीति : छठवां अध्याय (Chanakya Niti eighth chapter)
श्रवण करने से धर्मं का ज्ञान होता है, द्वेष दूर होता है, ज्ञान की प्राप्ति होती है और माया की आसक्ति से मुक्ति होती है. पक्षीयों में कौवा नीच है. पशुओ में कुत्ता नीच है. जो तपस्वी पाप करता है वो घिनौना है. लेकिन जो दूसरो की निंदा करता है वह सबसे बड़ा चांडाल है. राख से घिसने पर पीतल …
Read More »चाणक्य नीति: पांचवा अध्याय (Chanakya Niti: fifth lesson)
ब्राह्मणों को अग्नि की पूजा करनी चाहिए . दुसरे लोगों को ब्राह्मण की पूजा करनी चाहिए . पत्नी को पति की पूजा करनी चाहिए तथा दोपहर के भोजन के लिए जो अतिथि आये उसकी सभी को पूजा करनी चाहिए . सोने की परख उसे घिस कर, काट कर, गरम कर के और पीट कर की जाती है. उसी तरह व्यक्ति …
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