सुंदर कांड वास्तव में हनुमान जी का कांड है । हनुमान जी का एक नाम सुंदर भी है । सुंदर कांड के लिए कहा गया है – सुंदरे सुंदरे राम: सुंदरे सुंदरीकथा । सुंदरे सुंदरे सीता सुंदरे किम् न सुंदरम् ।। सुंदर कांड में मुख्य मूर्ति श्री हनुमान जी की ही रखी जानी चाहिए । इतना अवश्य ध्यान में रखना …
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राम अंश
अंसन्ह सहित मनुज अवतारा । लेहउं दिनकर बंस उदारा ।। ब्रह्मादि देवताओं की पुकार पर आकाशवाणी में ‘अंसन्ह सहित’ अवतार लेने की ब्रह्मगिरा हुई, उसी प्रकार श्रीस्वायंभुव मनु को भी वचन दिया गया – अंसन्ह सहित देह धरि ताता । करिहउं चरित भगत सुखदाता ।। अतएव इस बात की खोज आवश्यक है कि परम प्रभु के वे अंश कौन कौन …
Read More »एकमात्र श्रीकृष्ण ही धन्य एवं श्रेष्ठ हैं
एक कथा आती है कि देवर्षि नारद ने एक बार गंगा – तट पर भ्रमण करते हुए एक ऐसे कछुए को देखा, जिसका शरीर चार कोस में फैला हुआ था । नारद जी को उसे देखकर बड़ा आश्चर्य हुआ, वह उस कछुए से बोले, हे कूर्मराज ! तू धन्य एवं श्रेष्ठ है, जो इतने विशाल शरीर को धारण किए हुए …
Read More »पंचमुख तथा पंचमूर्ति
जिन भगवान शंकर के ऊपर की ओर गजमुक्ता के समान किंचित श्वेत – पीत वर्ण, पूर्व की ओर सुवर्ण के समान पीतवर्ण, दक्षिण की ओर सजल मेघ के समान सघन नीलवर्ण, पश्चिम की और स्फटिक के समान शुब्र उज्जवल वर्ण तथा उत्तर की ओर जपापुष्प या प्रवाल के समान रक्तवर्ण के पांच मुख हैं । जिनके शरीर की प्रभा करोड़ों …
Read More »भगवान श्रीकृष्ण और उनका दिव्य उपदेश
कांतिदी के सुरम्य तट पर संयुक्त प्रांत की मथुरा नगरी में भगवान श्रीकृष्ण का अवतार हुआ था । उन्होंने शैशवकाल में ही अनेक बार अपनी अतिमानुष एवं अलौकिक शक्तियों को दिखलाकर सबको चकित कर दिया था । अनेक भयानक पक्षियों, वन्य पशुओं और यमुना जी में रहने वाले कालिय – सर्प को मारकर लोगों को निर्भय किया था । उनके …
Read More »गरुड, सुदर्शनचक्र और श्रीकृष्ण की रानियों का गर्व – भंग
एक बार भगवान श्रीकृष्ण ने गरुड को यक्षराज कुबेर के सरोवर से सौगंधित कमल लाने का आदेश दिया । गरुड को यह अहंकार था कि मेरे समान बलवान तथा तीव्रगामी प्राणी इस त्रिलोकी में दूसरा कोई नहीं है । वे अपने पंखों से हवा को चीरते हुए तथा दिशाओं को प्रतिध्वनित करते हुए गंध मादन पर्वत पर पहुंचे और पुष्पों …
Read More »भक्त अर्जुन और श्रीकृष्ण
एक बार कैलाश के शिखर पर श्री श्री गौरीशंकर भगवद्भक्तों के विषय में कुछ वार्तालाप कर रहे थे । उसी प्रसंग में जगज्जननी श्री पार्वती जी ने आशुतोष श्रीभोलेबाबा से निवेदन किया कि भगवान ! जिन भक्तों की आप इतनी महिमा वर्णन करते हैं उनमें से किसा के दर्शन कराने की कृपा कीजिए । आपके श्रीमुख से भक्तों की महिमा …
Read More »क्या है श्री कृष्ण का पूरा सच्च
ईसवीं सदी के प्रारंभ से अथवा उससे भी सैकड़ों वर्ष पहले से हमारे देश के अनेक प्रतिभाशाली एवं अनुभवी महर्षियों ने भगवान श्रीकृष्ण के चरित्र का वर्णन किया है, किंतु आधुनिक विद्वानों को छोड़कर किसी को भी यह शंका नहीं हुई कि उनके अच्छे या बुरे, लौकिक अथवा दिव्य जितने भी कर्म प्रसिद्ध हैं वे सारे एक व्यक्तियों के द्वारा …
Read More »छान्दोग्योपनिषद और श्रीकृष्ण
छान्दोग्योपनिषद् में वर्णित हैं कि – तद्धैतद घोर अांगिरस: कृष्णाय देवकीपुत्रायोक्त्वोवाचाऽपिपास एव स बभूव, सोऽन्तवेलायामेतत्त्रयं प्रतिपद्येतात्रितमस्यच्युतमसि प्राणास शितमसीति । अर्थात् देवकीपुत्र श्रीकृष्ण के लिए आंगिरस घोर ऋषि ने शिक्षा दी कि जब मनुष्य का अंत समय आये तो उसे इन तीन वाक्यों का उच्चारण करना चाहिए – (1) त्वं अक्षितमसि – ईश्वर ! आप अविनश्वर हैं (2) त्वं अच्युतमसि – …
Read More »सारथ्य
भगवान श्रीकृष्ण ने महाभारत – संग्राम में और किसी का सारथ्य न करके अर्जुन ही सारथ्यकार्य क्यों किया, यह भी एक विचारणीय विषय है । जब भगवान अपनी सारी नारायणी सेवा कौरवों को देकर पाण्डवों की ओर से स्वयं अशस्त्र रहकर महायुद्ध में योगदान करने का वचन अर्जुन को दे चुके थे तब उन्हें कोई – न कोई काम करना …
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