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Ramayan

सीता जी की आरती

seeta jee kee aaratee

सीता जी की आरती सीता बिराजथि मिथिलाधाम सब मिलिकय करियनु आरती। संगहि सुशोभित लछुमन-राम सब मिलिकय करियनु आरती।। विपदा विनाशिनि सुखदा चराचर,सीता धिया बनि अयली सुनयना घर मिथिला के महिमा महान…सब मिलिकय करियनु आरती।।सीता बिराजथि… सीता सर्वेश्वरि ममता सरोवर,बायाँ कमल कर दायाँ अभय वर सौम्या सकल गुणधाम…..सब मिलिकय करियनु आरती।। सीता बिराजथि… रामप्रिया सर्वमंगल दायिनि,सीता सकल जगती दुःखहारिणि करथिन सभक …

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मां गंगा का धरती पर जन्‍म (Birth of maa Ganga on the Earth)

mere sar pe jhunjhanavaalee chunariya daal kar rakhatee hai

शास्‍त्रों के अनुसार माना गया है कि महाराजा भगीरथ ने अपने पूर्वजों का उद्धार करने के लिए कठोर तप किया था और धरती के पाप कम करने के लिए मां गंगा को धरती पर लेकर आए थे. मां के जन्‍म की कथा बहुत ही प्रसिद्ध और पावन है. इसे सुनने से भी मां का आशीर्वाद भक्‍तों पर बना रहता है. …

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श्री राम चालीसा (Shri Ram Chalisa)

jinake man mein base shree raam jee unakee raksha karen hanumaan jee

श्री राम चालीसा (Shri Ram Chalisa in Hindi) श्री रघुवीर भक्त हितकारी। सुन लीजै प्रभु अरज हमारी॥ निशिदिन ध्यान धरै जो कोई। ता सम भक्त और नहिं होई॥1॥ ध्यान धरे शिवजी मन माहीं। ब्रह्म इन्द्र पार नहिं पाहीं॥ दूत तुम्हार वीर हनुमाना। जासु प्रभाव तिहूं पुर जाना॥2॥ तब भुज दण्ड प्रचण्ड कृपाला। रावण मारि सुरन प्रतिपाला॥ तुम अनाथ के नाथ …

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भगवान् का स्वभाव है कि जो उनको जैसे भजता है, वे भी उसको वैसे ही भजते हैं

god remembers us in manner we remember him

शबरी भगवान् की परम भक्त थी । पहले वह ‘शबर’ जाति की एक भोली-भाली लड़की थी । शबर-जाति के लोग कुरूप होते थे । परन्तु शबरी इतनी कुरूप थी कि शबर-जाति के लोग भी उसको स्वीकार नहीं करते थे ! माँ-बाप को बड़ी चिन्ता होने लगी कि लड़की का विवाह कहाँ करें ! ढूँढ़ते-ढूँढ़ते आखिर उनको शबर-जाति का लड़का मिल …

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शबरी की प्रेमभक्ति

  भगवान श्रीराम के अनन्य भक्तों में एक भील जाति की कन्या भी थी श्रमणा। जिसे बाद में शबरी के नाम से जाना गयाl उसे जब भी समय मिलता, वह भगवान की पूजा- अर्चना करती। बड़ी होने पर जब उसका विवाह होने वाला था तो अगले दिन भोजन के लिए काफी बकरियों की बलि दी जानी थी। यह पता लगते …

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कैकेयी का अनुताप

kaikeyee ka anutaap

“यह सच है तो अब लौट चलो तुम घर को |” चौंके सब सुनकर अटल कैकेयी स्वर को | सबने रानी की ओर अचानक देखा, बैधव्य-तुषारावृता   यथा   विधु-लेखा | बैठी थी अचल तथापि असंख्यतरंगा , वह सिंही अब थी हहा ! गौमुखी गंगा — “हाँ, जनकर भी मैंने न भारत को जाना , सब सुन लें,तुमने स्वयं अभी …

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ओ मईया तैने का ठानी मन में

o maiya taine ka thaanee man mein

ओ मईया तैने का ठानी मन में, राम-सिया भेज दइ री वन में -२ हाय री तैने का ठानी मन में, राम-सिया भेज दइ री वन में -२ यधपि भरत तेरो ही जायो, तेरी करनी देख लज्जायो, अपनों पद तैने आप गँवायो भरत की नजरन में, राम-सिया भेज दइ री वन में , हठीली तैने का ठानी मन में, राम-सिया …

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तेरा झूठा मोह जगत में (Yours false attachment with world)

Yours false attachment with world

तेरा झूठा मोह जगत में तोते से बोली मैना गैरों से मतलब क्या है अपनों से बच के रहना श्री राम हुए वनवासी अपनो से धोखा खाया वो मोसी भी अपनी थी जिसने वनवास दिलाया सब आनी जानी माया सुख है तो दुःख भी सहना गैरो से मतलब क्या है अपनों से बचके रहना श्री कृष्ण हुये अवतारी जाने जन्म …

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श्रीराम जी और श्रीकृष्ण जी

shree raam jee aur shree krshn jee

श्रीसूत जी ने श्रीमद्भागवत में कहा है – ‘एते चांशकला: पुंस: कृष्णस्तु भगवान्स्वयम्’ इस वचन से यह स्पष्ट होता है कि भगवान ने यदि अपने किसी अवतार में अपने भगवान होने को साफ – साफ प्रकट किया है तो वह केवल श्रीकृष्णावतार में । अन्य अवतारों में उन्होंने इस भेद को इस प्रकार नहीं खोला । कहा जा सकता है …

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एक पत्नीव्रत धर्म

saalaasar ke mandir mein hanumaan viraaje re

श्रीरघुनाथ जी ने अकनारीव्रत को चरितार्थ करके महान आदर्श उपस्थित कर दिया । यद्यपि आपको स्मृतिकारों के प्रमाणनुसार चार विवाहों की प्रचलित प्रथा की मर्यादा स्वीकार थी, परंतु इधर एकपत्नीव्रत को ही पुष्ट करना था । इसलिए एक सीता जी के साथ ही विवाह की चारों रीतियां पूरी कर ली गयीं । जैसे – 1) गांधर्व विवाह फुलवारी में हुआ …

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