क्या आप जानते हैं कि राजा जनक ने सीता के स्वयंवर के लिए अयोध्या में निमंत्रण क्यों नहीं भेजा?जो कुछ संतो के मुँह से सुना है, वह आपको बता....
Read More »Ramayan
ग्रंथ हमें जीवन जीना सिखाते हैं
ट्रेन के इंतजार में एक बुजुर्ग रेलवे स्टेशन पर बैठकर रामायण पढ़ रहे थे…!!तभी वहां ट्रेन के इंतजार में बैठे एक नव दंपत्ति जोड़े में से उस......
Read More »गहरी सीख
रामजी के वनवास काल में, घोर घने वन में चलते हुए, रामजी आगे चलते हैं,सीताजी बीच में और लक्ष्मणजी सबसे पीछे चलते हैं।सीताजी रामजी के...........
Read More »श्री राम नाम महिमा
शास्त्रों के अनुसार संसार में 'राम' नाम से बढ़कर कुछ भी नहीं है। इसके हर अक्षर में सुख की प्राप्ति है। 'रा' के उच्चारण करने से सब पाप बाहर.
Read More »रामेश्वरजी का दर्शन
भगवान राम रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग का अपने हाथों से निर्माण करते हुए कहते है! हे लक्ष्मण ! जो मनुष्य मेरे द्वारा स्थापित किए हुए इन रामेश्वरजी.
Read More »सती सुलोचना की कथा
सुलोचना वासुकी नाग की पुत्री और लंका के राजा रावण के पुत्र मेघनाद की पत्नी थी। लक्ष्मण के साथ हुए युद्ध में मेघनाद का वध हुआ।
Read More »मकड़ी की कहानी
शहर के एक बड़े संग्रहालय के बेसमेंट में कई पेंटिंग्स रखी हुई थी। ये वे पेंटिंग्स थीं, जिन्हें प्रदर्शनी कक्ष में स्थान नहीं मिला था।लंबे समय से बेसमेंट में पड़ी पेंटिंग्स पर मकड़ियों ने जाला बना रखा था
Read More »महान संगीतकार, रवींद्र जैन के बारे में 10 अज्ञात तथ्य
महान संगीतकार रवींद्र जैन के बारे में 10 अज्ञात तथ्य सौदागर से विवाह तक, जैन ने राजश्री फिल्म्स के साथ 20 एल्बमों के लिए संगीत तैयार किया। 40 साल से अधिक के करियर में, जैन ने 150 से अधिक फिल्मों के लिए संगीत तैयार किया, जिनमें राम तेरी गंगा मैली, सौदागर, विवाह, हिना और कई अन्य शामिल हैं। जैन का …
Read More »रामचरितमानस’ सुन्दर कांड- दोहा क्रमांक
जो संपति सिव रावनहिंदीन्हि दिये दस माथसोई संपदा विभीसन्हिसकुचि दीन्ह रघुनाथ।। (‘रामचरितमानस’ सुन्दर कांड- दोहा क्रमांक 49 (ख)) प्रसंग है उस घटना का जब विभीषण अपने बड़े भाई रावण का साथ छोड़कर श्री राम की शरण में आये। मिलने पर विभीषण ने श्री राम से केवल उनकी भक्ति मांगी। श्री राम ने उन्हें अपनी भक्ति तो दी ही, साथ ही …
Read More »मैं भी तो ब्राह्मण हूं
, जो एक जनेऊ हनुमान जी के लिए ले आये थे। संयोग से मैं उनके ठीक पीछे लाइन में खड़ा था, मेंने सुना वो पुजारी से कह रहे थे कि वह स्वयं का काता (बनाया) हुआ जनेऊ हनुमान जी को पहनाना चाहते हैं, पुजारी ने जनेऊ तो ले लिया पर पहनाया नहीं। जब ब्राह्मण ने पुन: आग्रह किया तो पुजारी बोले यह तो हनुमान जी का श्रृंगार है इसके लिए बड़े पुजारी (महन्त) जी से अनुमति लेनी होगी,
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