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Story Katha

श्रीकृष्ण और भावी जगत

Mujhe Shyam Sunder Ki Dulhan Bhajan

मनुष्य को आदि से सुख और शांति की खोज रही है और अंत तक रहेगी । मानव सभ्यता का इतिहास इसी खोज की कथा है । जिस जाति ने इस रहस्य को जितना अधिक समझा वह उतनी ही सभ्य, जितना ही कम समझा उतनी ही असभ्य समझी जाती है । लोग भिन्न भिन्न मार्गों से चले । किसी ने योग …

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कैसे करें महाशिवरात्री की पूजा

Janiye Kya Hai Manes Pooja

यह व्रत फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को किया जाता है । इसको प्रतिवर्ष करने से यह ‘नित्य’ और किसी कामनापूर्वक करने से ‘काम्य’ होता है । प्रतिपदादि तिथियों के अग्नि आदि अधिपति होते हैं । जिस तिथि का जो स्वामी हो उसका उस तिथि में अर्चन करना अतिशय उत्तम होता है । चतुर्दशी के स्वामी शिव हैं (अथवा शिव की तिथि …

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क्यों मनाते हैं महाशिवरात्रि ?

Aakhir Kyo Diya Tha Mata Parvati Ne Story

  इस व्रत की दो कथाएं है । एक का सारांश यह है कि एक बार एक धनवान मनुष्य कुसंगवश शिवरात्रि के दिन पूजन करती हुई किसी स्त्री का आभूषण चुरा लेने के अपराध में मार डाला गया, किंतु चोरी की ताक में वह आठ प्रहर भूखा – प्यासा और जागता रहा था, इस कारण स्वत: व्रत हो जाने से …

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द्वादश ज्योतिर्लिंगों के अर्चा विग्रह – श्री सोमनाथ

Dvadash Jyotirling

इस विश्व में जो कुछ भी दृश्य देखा जाता है तथा जिसका वर्णन एवं स्मरण किया जाता है, वह सब भगवान शिव का ही रूप है । करूणासिंधुअपने आराधकों, भक्तों तथा श्रद्धास्पद साधकों और प्राणिमात्र की कल्याण की कामना से उन पर अनुग्रह करते हुए स्थल – स्थल पर अपने विभिन्न स्वरूपों में स्थित हैं । जहां – जहां जब …

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द्वादश ज्योतिर्लिंगों के अर्चा विग्रह – 2) श्री मल्लिकार्जुन

Dvadash Jyotirling

दक्षिण भारत में तमिलनाडू में पाताल गंगा कृष्णा नदी के तट पर वृपवित्र श्रीशैल पर्वत है, जिसे दक्षिण का कैलास कहा जाता है । श्रीशैल पर्वत के शिखर दर्शन मात्र से भी सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और आवागमन के चक्र से मुक्ति मिल जाती है । इसी श्रीशैल पर भगवान मल्लिकार्जुन का ज्योतिर्मय लिंग स्थित है । मंदिर …

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द्वादश ज्योतिर्लिंगों के अर्चा विग्रह – 4) श्री ओंकारेश्वर या ममलेश्वर

Dvadash Jyotirling

भगवान शिव का यह परम पवित्र विग्रह मालवा प्रांत में नर्मदा नदी के तट पर अवस्थित है । यहीं मांधाता पर्वत के ऊपर देवाधि देव शिव ओंकारेश्वर रूप में विराजमान हैं । शिवपुराण में श्रीओंकारेश्वर तथा श्रीअमलेश्वर के दर्शन का अत्यंत माहात्म्य वर्णित है । प्रसिद्ध सूर्यवंशीय राजा मांधाता ने, जिनके पुत्र अबरीष और मुचुकुंद दोनों प्रसिद्ध भगवद्भक्त हो गये …

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द्वादश ज्योतिर्लिंगों के अर्चा विग्रह – 5) श्री केदारेश्वर

Dvadash Jyotirling -5

केदारनाथ पर्वतराज हिमालय के केदार नाम श्रृंगपर अवस्थित हैं । शिखर के पूर्व अलकनंदा के सुरम्य तट पर बदरीनारायण अवस्थित हैं और पश्चिम में मंदाकिनी के किनारे श्रीकेदारनाथ विराजमान हैं । यह स्थान हरिद्वार से लगभग 150 मील और ऋषिकेश से 132 मील उत्तर हैं । भगवान विष्णु के अवतार नर नारायण ने भरतखण्ड के बदरिकाश्रम में तप किया था …

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द्वादश ज्योतिर्लिंगों के अर्चा विग्रह – 6) श्री भीमशंकर

Dvadash Jyotirling -5

भीमशंकर ज्योतिर्लिंग मुंबई से पूर्व एवं पूना से उत्तर भीमा नदी के तट पर सह्यादिपर स्थित है । यहीं से भीमा नदी निकलती है । कहा जाता है कि भीमक नामक सूर्यवंशीय राजा की तपस्या से प्रसन्न होकर यहां पर भगवान शंकर दिव्य ज्योतिर्लिंग के रूप में उद्भूत हुए थे । तभी से वे भीमशंकर के नाम से प्रसिद्ध हो …

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भक्त का अद्भुत अवदान

Bhagat Ka Adbhut Avdaan

कीचड़ से जैसे कमल उत्पन्न होता है, वैसे ही असुर जाति में भी कुछ भक्त उत्पन्न हो जाते हैं । भक्तराज प्रह्लाद का नाम प्रसिद्ध है । गयासुर भी इसी कोटिका भक्त था । बचपन से ही गया का हृदय भगवान विष्णु के प्रेम में ओतप्रोत रहता था । उसके मुख से प्रतिक्षण भगवान के नाम का उच्चारण होता रहता …

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माधुर्य रस में

maanas se : navadha bhakti

श्रीकृष्ण में निष्ठा, सेवाभाव और असंकोच के साथ ममता एवं लालन भी रहता है । मधुर रस में पांचों रस हैं, जिस प्रकार आकाशादि भूतों के गुण क्रमश: अन्य भूतों से मिलते हुए पृथ्वी में सब गुण मिल जाते हैं, इसी प्रकार मधुर रस में भी सब रसों का समावेश है । रस रूप श्रीकृष्ण की लीलाएं माधुर्य रस में …

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