Breaking News

Story Katha

अन्न की महिमा

अन्न की महिमा

यह एक आम कहावत है   जिसका प्रयोग लगभग सभी ने कभी न कभी ज़रूर किया होगा ।   कहते है कि जैसा अन्न वैसा मन ======================= हम जो कुछ भी खाते है वैसा ही हमारा मन बन जाता है, अन्न चरित्र निर्माण करता है। इसलिए हम क्या खा रहे है। इस बात का सदा ध्यान रखना चाहिए। प्रकृति से हम जो …

Read More »

दो मित्रों की कहानी

STORY FOR TWO FRIENDS

एक बार दो मित्र साथ-साथ एक रेगिस्तान में चले जा रहे थे। रास्ते में दोनों में कुछ कहासुनी हो गई। बहसबाजी में बात इतनी बढ़ गई की उनमे से एक मित्र ने दूसरे के गाल पर जोर से तमाचा मार दिया। जिस मित्र को तमाचा पड़ा उसे दुःख तो बहुत हुआ किंतु उसने कुछ नहीं कहा वो बस झुका और …

Read More »

श्रीकृष्ण – चरित्र (Krishna – Character)

khud to baahar hee khade rahe

समदर्शिता भगवान श्रीकृष्ण समदर्शी थे, और उनकी समदर्शिता की सीमा में केवल मनुष्य – समाज ही आता हो, सो बात नहीं, पशु – पक्षी, लता – वृक्ष आदि सभी के लिए उसमें स्थान था । उन्होंने गौओं की सेवा कर पशुओं में भी भगवान का वास दिखलाया । कदंब आदि वृक्षों के तले वन में विहार कर, उभ्दिज्ज – जगत …

Read More »

आज हिन्दी दिवस* के अवसर पर हिंदी का थोडा़ आनंद लीजिये …. मुस्कुराइए …

hindi-diwas

हिंदी के मुहावरे, बड़े ही बावरे है, खाने पीने की चीजों से भरे है… कहीं पर फल है तो कहीं आटा-दालें है, कहीं पर मिठाई है, कहीं पर मसाले है , चलो, फलों से ही शुरू कर लेते है, एक एक कर सबके मजे लेते है… आम के आम और गुठलियों के भी दाम मिलते हैं, कभी अंगूर खट्टे हैं, …

Read More »

अबू-बिन-अबुल ने बताई थी खुदा को पाने की यह तरकीब

अबू-बिन-अबुल ने बताई थी खुदा को पाने की यह तरकीब

मुस्लिम संत अबू सईद-बिन-अबुल खैर ने एक बार एक जिज्ञासु से प्रश्न किया, ‘हजरत! सुना है कोई महात्मा आकाश में उड़ते हैं, कोई पानी पर चलते हैं, तो कोई एक जगह से दूसरी जगह तक गायब होकर पहुंच जाते हैं, क्या ये वाकई सच है?’ जिज्ञासु के प्रश्न को सुनकर अबू सईद बोले, ‘मेंढक पानी में तैर सकता है, आवासील( …

Read More »

खुश रहने वाले लोग अपने चारो तरफ एक strong support system develop करते हैं:

khush rehne waale vayakti

खुश  रहना  मनुष्य  का जन्मजात  स्वाभाव  होता  है . आखिर  एक  छोटा  बच्चा  अक्सर  खुश  क्यों  रहता  है ? क्यों  हम  कहते  हैं  कि  बचपन के दिन जिँदगी के सबसे अच्छे दिन होते हैं  ? क्योंकि  हम  जन्म से खुश होते हैं ;  पर  जैसे -जैसे  हम  बड़े  होते  हैं   और धीरे -धीर हमारी खुश रहने की आदत उदास रहने की आदत …

Read More »

राजा को क्यों आती थी गांव में दुर्गंध

kingndianmythology

अवंतिका देश का राजा रवि सिंह महात्मा आशुतोष पर बड़ी ही श्रद्धा रखता था। वह उनसे मिलने रोज कुटिया में जाता था। लेकिन हर बार जब महात्मा को राजा अपने महल में आने के लिए आमंत्रित करता, महात्मा मना कर देते। एक दिन राजा रवि सिंह ने जिद पकड़ ली। तब महात्मा ने कहा, ‘मुझे तुम्हारे महल में दुर्गंध महसूस …

Read More »

स्याही से नहीं खून से करो हस्ताक्षर

subhash_chandra_bose_

बात उस समय की है, जब रंगून में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की आजाद हिंद फोज में भर्ती होने के लिए भीड़ लगी हुई थी। नेताजी ने एक मंच से जनता को संबोधित करते हुए कहां, दोस्तों, आजादी बलिदान चाहती है, तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा। भीड़ चिल्ला उठी, नेताजी, आप के एक इशारे पर हम अपना …

Read More »

Cute Letter from a newly married girl to her mother

bride-mother-dress

    प्रिय माँ, हर सामान्य लड़की की तरह, मैं बचपन के दिनों से ही शादी को लेकर उत्साहित थी। मैंने उस समय से आगे के बारे में कभी नहीं सोचा था कि मैं अपने राजकुमार के साथ खुशी से बिताऊंगा। लेकिन आज जब मैं शादीशुदा हूं, तो मुझे एहसास है कि शादी सभी गुलाबों की नहीं है। यह आपके …

Read More »

ज़िंदगी भर इनके पीछे भागते हैं हम

ज़िंदगी भर इनके पीछे भागते हैं हम

एक जंगल में एक लोमड़ी रहती थी। अमूमन वह सुबह जल्दी जाग जाती थी, लेकिन उस दिन थोड़ा देर से जागी। लोमड़ी जैसे ही अपने घर से बाहर आई तो उसकी पूंछ सूरज की ओर थी। छाया सामने पड़ रही थी। छाया देखकर लोमड़ी को पहली बार अपने शरीर का स्वरूप पता चला। छाया में उसका रूप बहुत बड़ा दिखाई …

Read More »