#पढ़ेऔरसमझे =============== ✍🏻✍🏻 एक गांव मे अंधे पति-पत्नी रहते थे। इनके यहाँ एक सुन्दर बेटा पैदा हुआ। पर वो अंधा नही था। एक बार पत्नी रोटी बना रही थी। उस समय बिल्ली रसोई में घुस कर बनाई रोटियां खा गई। बिल्ली की रसोईं मे आने की रोज की आदत बन गई इस कारण दोनों को कई दिनों तक भूखा सोना …
Read More »Gyan Shastra
कर्म का फल
भीष्म पितामह रणभूमि में शरशैया पर पड़े थे। हल्का सा भी हिलते तो शरीर में घुसे बाण भारी वेदना के साथ रक्त की पिचकारी सी छोड़ देते। ऐसी दशा में उनसे मिलने सभी आ जा रहे थे। श्री कृष्ण भी दर्शनार्थ आये। उनको देखकर भीष्म जोर से हँसे और कहा…. आइये जगन्नाथ।.. आप तो सर्व ज्ञाता हैं। सब जानते हैं, …
Read More »।।श्रीगणेशाय नमः।।
नए साल 2023 के व्रत एवं त्योहारों की सूची जनवरी 2023 2 जनवरी 2023 – पौष पुत्रदा एकादशी 4 जनवरी 2023 – प्रदोष व्रत (शुक्ल) 06 जनवरी 2023 – पौष पूर्णिमा व्रत 10 जनवरी 2023 – संकष्टी चतुर्थी 14 जनवरी 2023 – मकर संक्रांति, सूर्य उत्तरायण, लोहड़ी 15 जनवरी 2023 – पोंगल 18 जनवरी 2023 – षटतिला एकादशी व्रत 19 …
Read More »देशड़लो रंग रूड़ो राणा जी
देशड़लो रंग रूड़ो राणा जी थारो देशड़लो रंग रूड़ोकोनी पेरूली थारो चूड़ो रे राणा जी थारो देशड़लो रंग रूड़ो थारे देशां में राणा साधु नहीं थेलोग बसे सब कूड़ो नहीं भावे राणा देशड़लो रंग रूड़ो काजळ टीकी राणा म्हें सब कुछ छोड्रयाछोड्यो माथे वालो जूडो रे राणा नहीं पेरूली थारो चूड़ोदेशड़लो रंग ….. मेवा मिसरी राणा सब कुछ छोड्याछोड़यो शक्कर …
Read More »प्रभु जी काया की बन गई रेल
रेल गाड़ी चलने वाले हैप्रभु जी काया की बन गई रेल….. हाथ पैर के पहिये बन गए दो नैनं के सिगनल बन गएदिल को इंजन बनाये रेल रेल गाड़ी चलने वाले हैप्रभु जी काया की बन गई रेल….. हाथ पैर के पहियाँ थक गएदो नैनं के सिंगल भुज गएदिल को इंजन है गयो फेल रेल स्टेशन पे खाड़ी हुप्रभु जी …
Read More »ईश्वर के बंदों से प्रेम
एक बार भगवान् श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा, “मैं उससे प्रेम करता हूँ, जो हर प्राणी के प्रति, दुःखियों के प्रति करुणा की भावना रखकर उनसे प्रेम करता है और उनकी सेवा करता है। ईसा ने भी कहा है, ‘जो पड़ोसी से, अभावग्रस्त से प्रेम करता है, उसकी सहायता करता है, मैं उससे प्रेम करता हूँ। अरब की एक प्राचीन …
Read More »पत्नी स्वर्ग का साधन है
कश्यपस्मृति में कहा गया है, दाराधीना क्रियाः स्वर्गस्य साधनम्। तीर्थयात्रा, दान, श्राद्धादि जितने भी सत्कर्म हैं, वे सभी पत्नी के अधीन हैं। अतः पत्नी स्वर्ग का साधन है। यह भी कहा गया है कि नास्ति भार्यासमं तीर्थम् अर्थात् पत्नी साक्षात् तीर्थ है। स्वामी सत्यमित्रानंदगिरिजी धर्म प्रचार के लिए अमेरिका गए, तो एक अमेरिकी ने उनसे पूछा, ‘क्या भारत में पति …
Read More »जहाँ धर्म, वहीं विजय
महानारायणोपनिषद् में कहा गया है, धर्मों विश्वस्य जगतः प्रतिष्ठा अर्थात् धर्म ही समस्त संसार की प्रतिष्ठा का मूल है। भगवान् श्रीकृष्ण भी कहते हैं कि प्राणों पर संकट भले ही आ जाए, फिर भी धर्म पालन से डिगना नहीं चाहिए। महाभारत युद्ध के दौरान दुर्योधन प्रतिदिन माता गांधारी के पास पहुँचकर विजय की कामना के लिए आशीर्वाद की याचना किया …
Read More »तृष्णा के दुष्परिणाम
तेईसवें तीर्थंकर पार्श्वनाथ काशी नरेश राजा विश्वसेन के पुत्र थे। पिता ने सोलह वर्ष की आयु में ही उन्हें सत्ता सौंप दी थी, लेकिन कुछ ही वर्षों में सांसारिक सुखों से उन्हें विरक्ति होने लगी। एक दिन उन्होंने अपने पिताश्री से कहा, ‘मैंने काफी समय तक राजा के रूप में सांसारिक सुख-सुविधाओं का उपभोग किया है, फिर भी सुख के …
Read More »ब्रह्मविद्या का ज्ञान
सतयुग में महर्षि दध्यंग आथर्वण अग्रणी ब्रह्मवेत्ता के रूप में विख्यात थे। देव शिरोमणि इंद्र उनकी ख्याति सुनकर एक दिन उनके आश्रम में पहुँचे। इंद्र ने कहा, ‘महर्षि, मेरी मनोकामना पूर्ण करने के लिए मुझे वरदान देने का वचन दें। महर्षि आतिथ्य स्वीकार को बहुत महत्त्व देते थे, अतः उन्होंने वचन देकर उनसे बैठने को कहा। महर्षि ने पूछा, ‘अतिथिवर, …
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