गर्मियों के दिन थे। एक मैदान में एक टिड्डा अपनी ही मस्ती में झूम-झूम कर गाना गा रहा था। तभी उधर से एक चींटी गुजरी। वह एक मक्के का दाना उठाकर अपने घर ले जा रही थी। टिड्डे ने उसे बुलाया और कहा, “चींटी रानी, चींटी रानी, कहाँ जा रही होघ? इतना अच्छा मौसम है… आओ बातें करें… मस्ती करें…” …
Read More »Gyan Shastra
शब्दों का जादू !!
सेठ अनाथपिंडक भगवान् बुद्ध के परम स्नेहभाजन थे। वे अपने मन की तमाम बातें और वेदना निःसंकोच उनके समक्ष प्रस्तुत कर समाधान पाने की आशा रखते थे। एक दिन अनाथपिंडक का उदास चेहरा देखकर तथागत ने उनसे पूछा, ‘सेठ, किस समस्या के कारण चिंतित हो?’ उन्होंने बताया, ‘नई बहू सुजाता के व्यवहार के कारण बहुत परेशान हूँ। वह अत्यंत अभिमानी …
Read More »करुणा और प्रेम !!
दक्षिण भारत के एक नगर में तिरुविशनल्लूर अय्यावय्यर नामक एक निश्छल हृदय के विद्वान् ब्राह्मण रहते थे। उन्होंने धर्मशास्त्रों का अध्ययन कर यह निष्कर्ष निकाला कि करुणा और प्रेम ही धर्म का सार है। एक बार उनके पिता के श्राद्ध का दिन था। ब्रह्मभोज की तैयारी हो रही थी। श्राद्ध के अवसर पर ब्राह्मण को जो भोजन दिया जाता है, …
Read More »प्राणी में परमात्मा !!
एक दिन महर्षि सनतकुमार और देवर्षि नारद सत्संग कर रहे थे। सनतकुमार ने प्रश्न किया, ‘देवर्षि, आपने किन-किन शास्त्रों और विद्याओं का अध्ययन किया है?’ नारदजी ने उन्हें बताया कि उन्होंने वेदों, पुराणों, वाकोवाक्य (तर्कशास्त्र), देवविद्या, ब्रह्मविद्या, नक्षत्र विद्या आदि का अध्ययन किया है, पर उनका ज्ञान मात्र पुस्तकीय है। नारदजी ने विनयपूर्वक महर्षि से ब्रह्मविद्या का ज्ञान कराने की …
Read More »वैज्ञानिक की ईश्वरनिष्ठा !!
संसार के अग्रणी वैज्ञानिक अलबर्ट आइंस्टीन को वर्ष 1921 में भौतिकी के नोबल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। वह जीवन के अंतिम समय तक नई-नई खोजों में तो लगे ही रहे, ईश्वर के प्रति भी उनकी अटूट निष्ठा बनी रही। एक बार आइंस्टीन बर्लिन हवाई अड्डे से विमान में सवार हुए। वायुयान जब ऊपर पहुँचा, तो उन्होंने अपनी जेब …
Read More »सद्बुद्धि-सद्भावना !!
एक सेठ अत्यंत धर्मात्मा थे। वे अपनी आय का बहुत बड़ा हिस्सा सेवा परोपकार जैसे धार्मिक कार्यों में खर्च किया करते थे कई पीढ़ियों से उनके परिवार पर लक्ष्मी की असीम कृपा बनी रहती थी। एक बार देवी लक्ष्मी के मन में आया कि एक जगह रहते-रहते कई सौ वर्ष हो गए, ऐसे में, क्यों न इस परिवार को त्यागकर …
Read More »अनूठी सहृदयता !!
जवाहरलाल नेहरू अपने परिचितों के दुःख-दर्द के बारे में सुनकर द्रवित हो उठते थे। एक बार नेहरूजी कांग्रेस के अधिवेशन में भाग लेने लखनऊ पहुँचे। वहाँ पहुँचकर उन्हें पता लगा कि लालबहादुर शास्त्रीजी की बेटी चेचक से पीड़ित थी और आर्थिक वजहों से समुचित इलाज न हो पाने के कारण उसकी मृत्यु हो गई । शास्त्रीजी उन दिनों लखनऊ में …
Read More »अहंकार त्यागो !!
राजगृह के राजकीय कोषाध्यक्ष की पुत्री भद्रा बचपन से ही प्रतिभाशाली थी। उसने माता-पिता की इच्छा के विरुद्ध एक युवक से विवाह कर लिया। विवाह के बाद उसे पता चला कि वह दुर्व्यसनी और अपराधी किस्म का है। एक दिन युवक ने भद्रा के तमाम आभूषण कब्जे में ले लिए और उसकी हत्या का प्रयास किया, पर भद्रा ने युक्तिपूर्वक …
Read More »शील अनूठा रत्न है !!
धर्मशास्त्रों में शील (चरित्र) को सर्वोपरि धन बताया गया है। कहा गया है कि परदेश में विद्या हमारा धन होती है। संकट में बुद्धि हमारा धन होती है। परलोक में धर्म सर्वश्रेष्ठ धन होता है, परंतु शील ऐसा अनूठा धन है, जो लोक-परलोक में सर्वत्र हमारा साथ देता है। कहा गया है कि शीलवान व्यक्ति करुणा एवं संवेदनशीलता का अजस्र …
Read More »नर से नारायण !!
हमारे ऋषि-मुनियों तथा धर्मशास्त्रों ने संकल्प को ऐसा अमोघ साधन बताया है, जिसके बल पर हर क्षेत्र में सफलता पाई जा सकती है। स्वाम विवेकानंद ने कहा था, ‘दृढ़ संकल्पशील व्यक्ति के शब्दकोश में असंभव शब्द नहीं होता। लक्ष्य की प्राप्ति में साधना का महत्त्वपूर्ण योगदान होता है। संकल्प जितना दृढ़ होगा, साधना उतनी ही गहरी और फलदायक होती जाएगी।’ …
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