भारतीय संस्कृति में गुरु को अत्यंत महत्त्व दिया गया है स्कंदपुराण में कहा गया है, अज्ञान तिमिरंधश्च ज्ञानांजनशलाकया। चक्षुरुन्मीलितं येन तस्मै श्रीगुरुवे नमः। यानी जो गुरु अज्ञान के अंधकार में दृष्टिहीन बने अबोध शिष्य की आँखों को ज्ञान का अंजन लगाकर आलोकित करता है, उससे अधिक प्रणम्य कौन है। पिता और माता को शास्त्रों में नैसर्गिक गुरु बताया गया है। …
Read More »Gyan Shastra
ढाई आखर प्रेम का
एक बार सत्संग के दौरान परम भागवत संत अखंडानंद सरस्वती ने अपने गुरु उड़िया बाबा से प्रश्न किया, ‘महाराज, पंडित कौन है?’ उड़िया बाबा ने बताया, ‘शास्त्र में कहा गया है- आत्मज्ञान समारम्भस्तितिक्षा धर्म नित्यता। यमर्थात्रापकर्षन्ति स वै पंडित उच्यते।’ यानी जिन्हें अपने वास्तविक स्वरूप का ज्ञान है, जो धर्मानुसार जीवन जीते हैं, दुःख सहन करते हैं और जो धन …
Read More »संकल्प हो तो ऐसा !!
गुरु नानकदेवजी अपने उपदेश में कहा करते थे, कूड़ राजा, कूड़ परजा, कूड़ सभ संसार। कूड़ मंडप, कूड़ माड़ी, कूड़ बैसणहार॥ अर्थात् संसार के सब रिश्ते और पदार्थ झूठे हैं। राजा, प्रजा, महल, धन और ऐश्वर्य के अन्य साधनों में कोई सार-तत्त्व नहीं है। संसार में केवल परमात्मा सच्चा है। इसके बावजूद मनुष्य झूठ से नेह कर रहा है और …
Read More »बलूत का पेड़ व नरकट के पौधे !!
एक झील के किनारे पर एक विशाल बलूत का वृक्ष था। उसका तना बहुत मोटा था और शाखाएँ बहुत बड़ी-बड़ी थी। उसकी जड़ें धरती में बहुत अंदर तक गई हुई थीं। जिनकी सहायता से वृक्ष बहुत मजबूती से धरती पर खड़ा था। वृक्ष को अपनी कद-काठी पर बड़ा घमंड था। के बलूत वृक्ष के पास ही निकट के कुछ …
Read More »मोर और बगुला !!
एक समय की बात है। एक जंगल में एक मोर घूम रहा था। आकाश काले बादलों से घिरा हुआ था और ऐसा लगता था कि कुछ ही देर में वर्षा होने लगेगी। बादलों की गड़गड़ाहट सुनकर मोर खुश हो गया और अपने पंख फैलाकर नाचने लगा। उसे अपने नृत्य व सुंदरता पर बड़ा नाज था। नाचते हुए मोर के …
Read More »कंजूस की नियति !!
किसी समय एक गाँव में एक कंजूस व्यक्ति रहता था। उसके पिताजी एक धनवान व्यक्ति थे और मरते समय उसके लिए वह बहुत सारा धन छोड़ कर गए थे। कंजूस को हमेशा चोरों का डर सताता था। इसलिए वह उस धन की सुरक्षा को लेकर हमेशा चिंतित रहता था। धन की चिंता में उसका दिन का चैन और रातों की …
Read More »विशाल पर्वत और छोटी गिलहरी !!
एक दिन एक गिलहरी एक पर्वत के पास खुशी से चहकते हुए खेल रही थी। पर्वत की नजर उस पर पड़ी तो उसने मन में सोचा ‘इस गिलहरी का छोटा-सा शरीर किसी भी काम का नहीं है फिर भी यह इतनी खुश कैसे रहती है?’ पर्वत ने गिलहरी को बुलाया और बोला, “कितनी छोटी हो तुम! किसी भी काम …
Read More »मेहनती चींटी !!
गर्मियों के दिन थे। एक चींटी अनाज के दाने उठा-उठाकर अपनी बिल में जमा कर रही थी। वह सर्दियों के लिए अपना भोजन इकट्ठा कर रही थी। पास में ही एक टिड्डा, एक छोटे से पौधे पर बैठा हुआ मस्ती में गा रहा था। अचानक टिड्डे की नजर चींटी पर पड़ी तो वह बोला, “तुम इतनी तेज गर्मी में …
Read More »चतुर बिल्ली !!
एक समय की बात है। एक जंगल में एक लोमड़ी शिकार की खोज में भटक रही थी। अचानक उसकी मुलाकात एक जंगली बिल्ली से हुई। दोनों ने एक दूसरे का अभिवादन किया और फिर आपस में बातचीत करने लगीं। बातों-बातों में लोमडी बोली, “मुझे तो शिकारी कुत्तों से बहुत नफरत है।” “मुझे भी।” बिल्ली ने सहमति जताते हुए कहा। …
Read More »धूर्त भेड़िया और चतुर घोड़ा !!
एक बार एक भेड़िया भोजन की खोज में जंगल में भटक रहा था। दुर्भाग्यवश उसे जंगल में खाने के लिए कुछ भी नहीं मिला। भोजन की खोज में चलते-चलते वह जंगल के किनारे पहुँच गया, जहाँ एक गाँव बसा हुआ था। जंगल के समीप ही गाँव वालों के खेत थे। भेड़िया कुछ देर इधर-उधर भटकता रहा। तभी भेड़िये ने …
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