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Panchatantra

उचित दण्ड !!

चोड देश में गोवर्धन नाम का राजा राज्य करता था। वह प्रजा का पालन पुत्रवत् करता। प्रत्येक के सुख-द:ख को अपना सुख-दु:ख समझता। वह बड़ा न्यायप्रिय था। उसने अपने दरबार में सभा मंडप के सामने लोहे के स्तम्भ पर एक घंटा बंधवा दिया था, जिसका नाम न्याय घंटा था। न्याय चाहने वाला उस घंटे को बजा दिया करता। राजा घंटे …

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समझदारी की बात !!

एक से था। उसने एक नौकर रखा। रख तो लिया, पर उसे उसकी ईमानदारी पर विश्वास नहीं हुआ। उसने उसकी परीक्षा लेनी चाही। अगले दिन सेठ ने कमरे के फर्श पर एक रुपया डाल दिया। सफाई करते समय नौकर ने देखा। उसने रुपया उठाया और उसी समय सेठ के हवाले कर दिया।दूसरे दिन वह देखता है कि फर्श पर पांच …

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विषैले फलों का पेड़ !!

कुछ बदमाश एक पेड़ पर टकटकी लगाए रहते थे जिस पर जहरीले फल आते थे। आम जैसे उन फलों को खाकरजो व्यक्ति मर जाता था उसका सामान वे बदमाश आपस में बांट लेते थे। एक दिन “कोई अच्छी खबर है?” एक बदमाश ने पूछा एक आदमी फल खा रहा है।” दूसरे ने चुप रहने का सकत करते हुए कहा। “लगता तो …

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मित्रों का महत्व !!

एक बड़ी झील के किनारे एक नर बाज रहता था। कुछ समय बाद एक मादा बाज भी दूसरे पेड़ पर आकर रहने लगी। नर बाज ने मादा बाज से शादी का निवेदन किया तो उसने कहा कि पहले कुछ मित्र तो बनाओ, क्योंकि जब कभी मुसीबत आता ह तो मित्रों का बहुत सहारा होता है। यह सुनकर नर बाज मित्र …

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लाला बैकुंठनारायण !!

लाला बैकुंठनारायण जीवनभर एक के दो करने के फेर में लगा रहा। कंजूस इतना था कि न तो कभी उसने किसी गरीब की कोई सहायता की और न ही कभी फूटी कौड़ी का दान दिया । एक दिन वह असाध्य रोग से ग्रस्त होकर चारपाई पर पड़ गया। परिजनों ने उसके बचने की आशा त्याग दी थी। स्वयं बैकुंठनारायण को भी …

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समय की कीमत !!

हरी एक गरीब एवं राज्य सबसे चर्चित आलसी था वह कुछ कार्य नहीं करता था। उसके आलस की चर्चा सुनकर एक दिन राजा ने उसे बुलवाकरकहा,‘तुम पैसे कमाने के लिए कोई कार्य क्यों नहीं करते हो?”हरी बोला मुझे कोई काम ही नहीं देता और मेरे दुश्मन सोचते हैं कि मैं आलसी हु ।” राजा बोला’ठीक है, तुम मेरे राजकोष में …

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समस्या का हल !!

एक दिन तीन निर्धन दोस्तों को सड़क पर एक रुपया गिरा हुआ मिला। वह तीनों ही उस रुपए पर अपना-अपना हक जताने लगे।अन्ततउन्होंने झगड़ा न करने का निर्णय लेकर तय किया कि वे उस रुपए से कुछ खाने की वस्तु खरीदकर आपस में बाँट लेंगे।उनमें से पहला बोला,” मैं कुछ मीठा खाऊंगा” दूसरा बोला,’मुझे तो बड़े जोरों की भूख लगी …

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साँच बराबर तप नहीं, झूठ बराबर पाप !!

साँच बराबरि तप नहीं, झूठ बराबर पाप। जाके हिरदै साँच है ताकै हृदय आप॥ सच्चाई के बराबर कोई तपस्या नहीं है, झूठ (मिथ्या आचरण) के बराबर कोई पाप कर्म नहीं है। जिसके हृदय में सच्चाई है उसी के हृदय में भगवान निवास करते हैं। साँच बराबर तप नहीं, झूठ बराबर पाप ‘सत्येन धारयते जगत् ।’ अर्थात् सत्य ही जगत को धारण …

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मिट्टी का खिलौना !!

 एक गांव में एक कुम्हार रहता था, वो मिट्टी के बर्तन व खिलौने बनाया करता था, और उसे शहर जाकर बेचा करता था। जैसे तैसे उसका गुजारा चल रहा था, एक दिन उसकी बीवी बोली कि अब यह मिट्टी के खिलोने और बर्तन बनाना बंद करो और शहर जाकर कोई नौकरी ही कर लो, क्यूँकी इसे बनाने से हमारा गुजारा …

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बुद्धिहीन सेवक !!

किसी शहर में एक सेठ रहता था । किसी कारणवश उस बेचारे को अपने कारोबार में घाटा पड़ गया और वह गरीब हो गया । गरीब होने का उसे बहुत दुख हुआ था । इस दुख से तंग जाकर उसने सोचा कि इस जीवन से क्या लाभ? इससे तो मर जाना अच्छा है । यह सोचकर एक रात को वह …

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