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Panchatantra

घमंडी कलम और स्याही की दवात !!

एक बार एक प्रसिद्ध कवि की एक ‘स्याही की दवात’ थी। एक दिन अपने पर घमंड करते हुए वह बोली-“विश्वास नहीं होता! मेरी स्याही की कुछ बूंदें इतना सुंदर और इतना सार्थक लिख सकती हैं।”   तभी, एक ‘कलम’ चिल्लाई-“तुम कितनी मूर्ख हो। तुम्हें नहीं पता? तुम तो सिर्फ स्याही देती हो। कागज़ पर लिखने वाली तो मैं हूँ, इसलिए …

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जेम्स और समुद्र के राजा की बारह बेटियाँ !!

एक दिन, जेम्स नामक लड़का समुद्र के किनारे बैठा हुआ था। अचानक, उसने बारह समुद्री चिड़ियों को देखा। समुद्र के किनारे उतरते ही, वे बारह युवतियों में बदल गई।   उन्होंने अपने पंख उतारे और समुद्र में कूद गई। जेम्स ने मज़ाक में एक पंख ले लिया। वे बारह लड़कियाँ समुद्र में से निकली और उन्होंने अपने पंख पहन लिए। …

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जादुई गाय !!

बहुत पहले एक राजा था, जिसकी रानी मर चुकी थी। राजा की एक बेटी थी। उसकी देखभाल के लिए उसने एक रानी से शादी की जिसकी तीन बदसूरत बेटियाँ थीं।   लेकिन नई रानी, राजा की बेटी को पसंद नहीं करती थी। उसके आदेश पर राजकुमारी खेतों में काम करती थी, और बिंदा नामक गाय की देखभाल करती थी। बिंदा …

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दयालु जतिन !!

  एक बार जतिन नाम का लड़का था जिसे जानवरों से बहुत प्यार था। एक दिन, जब वह स्कूल से आ रहा था तो उसने एक कुत्ते को झाड़ियों में फंसा हुआ देखा।   जतिन को उस पर बहुत दया आई और वह उसे घर ले आया। उसके माता-पिता उस कुत्ते को जानवरों के डॉक्टर के पास ले गए। डॉक्टर …

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घंटाधारी ऊंट !!

 किसी गांव में उज्ज्वलक नाम का एक बढ़ई रहता था। वह बहुत निर्धन था। निर्धनता से तंग आकर एक दिन वह गांव छोड़कर दूसरे स्थान के लिए निकल पड़ा। रास्ते में घना जंगल पड़ता था।  वहां उसने देखा कि एक ऊंटनी प्रसव-पीड़ा से तड़प रही है। ऊंटनी ने जब बच्चा दिया तो वह ऊंटनी और उसके बच्चे को लेकर अपने …

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चतुर शृगाल !!

 किसी जंगल में एक गीदड़ रहा करता था। उसका नाम था, महाचतुरक । शिकार की तलाश में वह वन के विशाल भू-भाग में इधर-उधर भटका करता था। एक दिन वन के एक भाग में उसने एक मरा हुआ हाथी देखा।   हाथी का मांस खाने की इच्छा से गीदड़ ने उसकी खाल में दांत गड़ाने की चेप्ा की, किन्तु खाल …

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सेवा ही धर्म है !!

आयरलैंड में एक पादरी के परिवार में जन्मी मारग्रेट एलिजाबेथ नोबल स्वामी विवेकानंद के विचारों से प्रभावित होकर भारत आईं। 25 मार्च, 1898 को मार ने स्वामीजी से दीक्षा ग्रहण की । स्वामीजी ने उनका नामकरण किया ‘भगिनी निवेदिता । स्वामीजी ने भगिनी निवेदिता को गीता, महाभारत, रामचरितमानस आदि का अध्ययन कराया और भारत के इतिहास, धर्म व संस्कृति से …

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आँखें नम हो गईं !!

गांधीजी के अनन्य सहयोगी काका कालेलकर ने अनेक बार स्वाधीनता आंदोलन के सिलसिले में जेल यातनाएँ सहन की थीं। वे विदेशी शासन की कारगुजारियों के विरुद्ध खुलकर लेख लिखते थे। वे गांधीजी के आश्रम में रहकर स्वदेशी और स्वदेश का महत्त्व प्रकट करनेवाला साहित्य सृजन करते थे। एक बार काका साहब को गिरफ्तार कर साबरमती की जेल में रखा गया। …

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अनूठी सादगी !!

देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद की धर्म व भारतीय संस्कृति में अनूठी निष्ठा थी । वे अपने भाषणों में प्रायः कहा करते थे कि भारतीय संस्कृति मानवता, करुणा, सत्य और अहिंसा रूपी सद्गुणों को अपनाने की प्रेरणा देती है। गांधीजी के सान्निध्य में रहकर उन्होंने सत्य पर अडिग रहने का संकल्प लिया था।  राजेंद्र बाबू समय-समय पर संतों …

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संन्यासी का स्वदेश प्रेम !!

विरक्त संत स्वामी कृष्णबोधाश्रमजी ने बचपन में ही अपनी विशेष पोशाक पहनने और संस्कृत व हिंदी भाषा पर गर्व करने का संकल्प लिया था। साधु बनने के बाद स्वामीजी धर्म प्रचार के लिए जहाँ भी जाते, तो वहाँ श्रद्धालुओं को स्वदेशी वस्तुओं के इस्तेमाल के लिए प्रेरित करते थे। एक बार मथुरा जिले के किसी नगर में उन्होंने प्रवचन करते …

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