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घमंड अब चूर चूर हो गया

सूरजभान जी हमेशा अपनी गर्दन अकड़ के चलते थे । जब भी कोई पार्क में मिल जाता तो बस अपने दामाद के गुण गाने लग जाते । देखो मेरे दामाद ने इस बार अमेरिका से ये भिजवाया है । क़सूर इनका भी नही है , जब बिना हाथ पैर मारे इतना अच्छा दामाद मिल जाए , तो लॉटरी से कम नही होता ।

सूरजभान जी की बेटी लावण्या जो की एक एयर होस्टेस थी । प्लेन में उसकी मुलाकात रघु से हुई , जो अमेरिका में रहता था । दोनो की नज़दीकियाँ कम हो कर कब रिश्ते में बदल गयी पता ही नही चला । दोनो ने शादी करने के बाद सूरजभान जी को फ़ोन कर के बताया । अब कोई क्या कर सकता था बस उनकी ख़ुशी में खुश हो गए।

जब भी रिश्ते दार या पड़ोसी सूरजभान जी से कहते कि भाई साहब आपने बिना छान बीन के कैसे इस रिश्तें को मंजूरी दे दी । आप तो कभी मिले भी नहीं ! बस फ़ोन पे ही बात करते रहते है । एक बार मिल तो आइए , क्या पता वो वैसा ना हो जो वो दिखाता है । ये सब सुन वो घमंड में बोले “मेरी बेटी की इतनी अच्छी जगह शदी हो गयी हैं तो तुम सब जलते हों “ । लेकिन कुछ दिनों से उनका मन बहुत विचलित हो रहा था । लावण्या ने अपना काम भी छोड़ दिया था और वो फ़ोन भी नहीं करती थी । अगर कभी सूरजभान जी फ़ोन करते , तो जल्दी आपसे मिलने आऊँगी बोल फोन बंद कर देती । ये सब सोच उन्होंने अपनी बेटी से मिलने का प्रोग्राम बनाया ।

आज वो एक साल बाद अपनी बेटी से मिलने जा रहे थे । जैसे ही वो अपनी बेटी के घर पहुँचे तो बाहर पुलिस खड़ी हुई थी । अंदर गए तो अपनी बेटी को मृतक अवस्था में देख पैरो तले ज़मीन खिसक गई । रघु को अपने सामने देख उन्होंने उसका गिरेबान पकड़ लिया और चिल्लाने लगे । क्या किया है तुमने मेरी बेटी के साथ बताओ ???

आज रघु जेल में हैं ! लावण्या ने ख़ुदख़ुशी की या किसी ने मार डाला सबके अपने अपने तर्क है । अब पूछताछ जितना चलती रहे , पर उनकी बेटी तो वापस नही आ सकती । काश उन्होंने अपनी बेटी से मिलने की चेष्टा पहले की होती तो आज अपनी बेटी की अस्थियों को ना लाना पड़ता । जिसे डोली में विदा ना कर सके उसे साथ ले आए है ! अस्थियों से भरे कलश को गंगा में बहा आए हैं । आज जब भी सूरज भान जी घर से निकलते है तो गर्दन झुकी रहती है । लेकिन आज भी उनकी तन्हाई के दोस्त वो ही है , जो पहले थे । बस वक्त की इस दौड़ में उनका घमंड अब चूर चूर हो गया ।

गर्दन ऐठीं रहना
स्वरचित रचना
स्नेह ज्योति

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