किसी जमाने में विक्रमगढ़ नाम का एक राज्य हुआ करता था। उस राज्य के राजा की दो रानियां थीं। बड़ी रानी का रूप सामान्य था, लेकिन छोटी रानी काफी सुंदर थी। इस वजह से राजा छोटी रानी को अधिक प्रेम करता था और वह छोटी रानी की हर बात भी माना करता था। एक दिन छोटी रानी ने राजा से बड़ी रानी की शिकायत कर दी। राजा बड़ी रानी से नाराज हो गए, जिससे दुखी होकर बड़ी रानी महल छोड़कर जंगल की तरफ जाने लगी।
रास्ते में एक नदी पड़ी, जिसके किनारे पर एक अनार का पेड़ था। बड़ी रानी उसी पेड़ के नीचे बैठ गई और रोने लगी। उसकी रोने की आवाज सुनकर वहां पर एक नन्ही परी आई।
उस नन्ही परी ने रानी से उसके रोने की वजह पूछी। रानी ने रोते हुए उसे अपनी सारी बात बता दी।
बड़ी रानी की बात सुनकर नन्ही परी ने कहा, ‘इस नदी में तीन डुबकी लगा कर स्नान करो। फिर इस अनार के पेड़ से एक अनार तोड़ लो। ऐसा करने से तुम भी रूपवान हो जाओगी, लेकिन मैंने जितना बताया है सिर्फ उतना ही करना। न इससे ज्यादा करना और न ही कम करना।’
ऐसा कह कर नन्ही परी वहां से गायब से हो गई।
इसके बाद बड़ी रानी ने परी की बात मानते हुए वैसा ही किया। रानी ने जैसे ही नदी में पहली डुबकी लगाई, तो उसके शरीर का रंग साफ हो गया।
दूसरी डुबकी लगाने पर रानी का शरीर सुंदर कपड़े और जेवर से सज गया।
तीसरी डुबकी लगाते ही, रानी के बाल लंबे, घने और सुंदर हो गए।
अब बड़ी रानी बहुत ही सुंदर हो गई थी।
इसके बाद जैसा नन्ही परी ने कहा था, नदी में तीन डुबकी लगाने के बाद रानी ने अनार के पेड़ से एक अनार तोड़ लिया। तोड़ते ही वह अनार फूट गया और अनार के सारे बीज सैनिक बन गए।
उन सैनिकों ने रानी के लिए एक पालकी तैयार की, जिसमें बड़ी रानी को बैठाकर वो वापस राज्य में लेकर आ गए।
राजमहल पहुंच कर जब बड़ी रानी राजा से मिली, तो उसने नन्ही परी वाली सारी घटना राजा को बता दी। अब राजा को अपनी हरकत पर पछतावा होने लगा और उन्होंने इस बार छोटी रानी को महल से बाहर निकाल दिया।
जब बड़ी रानी राजा को नन्ही परी की घटना बता रही थी, तो छोटी रानी छुपकर ये सारी बातें सुन रही थी। इसी वजह से महल से बाहर निकलने पर वह सीधे नदी के किनारे गई और उसी अनार के पेड़ के नीचे बैठकर रोने लगी।
छोटी रानी के रोने की आवाज सुनकर नन्ही परी वहां प्रकट हो गई और उसने रानी से उसके रोने की वजह पूछी।
छोटी रानी ने झूठ बोलते हुए नन्ही परी को बताया कि बड़ी रानी के कहने पर राजा ने उसे महल से बाहर निकाल दिया है।
यह सुनकर नन्ही परी ने छोटी रानी से भी कहा कि पहले इस नदी में तीन बार डुबकी लगाओ। फिर इसी अनार के पेड़ से एक अनार तोड़ लो, लेकिन न इससे ज्यादा करना और न इससे कम करना।
ऐसा कह कर नन्ही परी वहां से फिर गायब हो गई।
नन्ही परी की बात सुनकर छोटी रानी बहुत खुश हुई। वह नदी में गई और जैसी ही पहली जुबकी लगाई, उसका शरीर पहले से भी ज्यादा निखर गया।
दूसरी डुबकी लगाते ही, उसका शरीर भी सुंदर कपड़े और जेवर से सज गया।
तीसरी डुबकी लगाने पर छोटी रोनी के बाल और काले, घने, लंबे और सुंदर हो गए।
अब छोटी रानी पहले से भी ज्यादा सुंदर दिखने लगी थी, लेकिन छोटी रानी ने सोचा कि अगर वह तीन डुबकी लगाने से इतनी सुंदर हो सकती है, तो और डुबकियां लगाने पर वह और अधिक सुंदर हो जाएगी।
उसने ऐसा सोचकर कई सारी डुबकियां लगा ली। ऐसा करने पर छोटी रानी के शरीर के सारे कपड़े फटे और पुराने हो गए। उसके सारे गहने गायब हो गए। उसके शरीर का रंग भी गहरा हो गया। शरीर पर दाग और दाने निकल गए। छोटी रानी अब पहले की तरह सुंदर नहीं लग रही थी।
रोते हुए वह नदी से बाहर आई और अनार के पेड़ से एक अनार तोड़ा। अनार तोड़ते ही वह फूट गया। उससे एक सांप निकला और वह रानी को खा गया।
कहानी से सीख
नन्ही परी और छोटी रानी की कहानी हमें सीख देती है कि दूसरे लोगों के लिए कभी बुरा नहीं सोचना चाहिए।