कोरोना काल में भोजन व्यवस्था: इस विपत्ति के समय एक साथ 3 महीने का राशन लेकर आए अपने पुत्र को उसके पिता ने कहा कि अपने पूर्वज कितनी दूरदर्शिता रखते थे। हमको भी घर में वैसी ही दूरदर्शिता रखना चाहिए।
वे लोग घर में 1 साल का गेहूं, चावल और तेल के डिब्बे स्टॉक कर लेते थे। इसी तरह से तुवर दाल, चना दाल, मूंग दाल आदि भी साल भर के लिए रखते थे। एक बार गेहूं, चावल साल भर के आ जायें तो ऐसी विपत्ति में कोई डर ना रहे और भोजन व्यवस्था चलती रहे।
पुत्र और बहुओं के साथ पोते पोतियों को भी आनंद लेकर, रुचि लेकर इस बात को सुनते हुए देखकर उन्होंने कहा, हमारे इस विशाल देश में करोड़ों लोग मध्यम वर्गीय ग़रीब हैं, अगर उनको ताज़ी सब्ज़ी नहीं मिले तो आज वे बेहाल हो जाते हैं।
हमारे पूर्वज घर में अचार रखते थे, उससे बहुत आनन्द से भोजन हो जाता था। यह भी हमारी संस्कृति की एक विशेषता है। ऐसी विशेषता विदेशियों के पास नहीं है।
अभी तो छोटे परिवार हैं, परंतु पहले संयुक्त परिवार बड़े होते थे, तो सारे साल चले इतना खट्टा, तीखा, मीठा कई प्रकार का अचार घर में रखा रहता था। कुछ नहीं मिले तो अचार और रोटी पूरा भोजन होता था। इसी तरह दूध या छाछ हो तो उसके साथ भी रोटी का भोजन हो जाता था। दूध पर मलाई निकाल कर रोटी पर चुपड़कर उस पर थोड़ी शक्कर डालकर बीड़ी बनाकर चार-पांच रोटी नाश्ते में खा लेते थे। ऐसे ही कटोरी में खाने का थोड़ा तेल, नमक, मिर्ची और शक्कर डाल कर और थोड़ी हींग मिलाकर जो ज़ायक़ा बनाते थे और उस ज़ायक़े को रोटी के साथ बड़े प्रेम से खाते थे। इसी तरह रोटी के छोटे-छोटे टुकड़े करके उसमें गुड़ और घी मिला करके और लड्डू छोटे-छोटे बनते थे इनको बड़े प्रेम से खाया जाता था।
ऐसी लॉक डाउन की विपत्ति के समय नई पीढ़ी को भी यह ध्यान रखना चाहिए कि अगर हमारे पास बाज़ार जाने की सुविधा ना हो तो हम घर पर किस प्रकार अपना भोजन की व्यवस्था कर सकें, बिना बाहर निकले।
हमारी संस्कृति ऐसी है कि हम अपनी ज़रूरतों को घर पर ही पूरा कर सकते हैं। अमेरिका और पश्चिमी देशों में ऐसी संस्कृति नहीं है। आज जैसी लॉकडाउन की स्थिति में वे लोग पागल जैसे या मानसिक असंतुलन की स्थिति में पहुंच जाते हैं। अमेरिका और यूरोप में जितने लोगों की मृत्यु हो रही है, उनमें ८०% वृद्ध हैं। इसका कारण भी यही है कि वहां वे लोग संयुक्त परिवार को नहीं जानते। अकेले रहते हैं और इस कारण से मानसिक और शारीरिक रूप से अस्वस्थ रहते हैं। हमारे यहां पर संयुक्त परिवार में सारे परिवार के लोग अपने बुज़ुर्गों का ध्यान रखते हैं।
कोरोना वायरस अपने शरीर की आंतरिक सिस्टम को हिला सकता है.परंतु हमारी संस्कृति कोरोना के विरुद्ध ढाल बनकर हमारी रक्षा करती है और कोरोना वायरस नहीं होने दे सकती।
नई पीढ़ी को पुरानी पीढ़ी से इस प्रकार की बातों को सीखना चाहिए और पश्चिम की अंधी नक़ल नहीं करनी चाहिए।
English translation
Meal arrangements during the Corona period: At the time of this calamity, his father told his son, who brought a ration of 3 months together, how far his forefathers were. We should also keep the same vision at home.
They used to stock 1 year wheat, rice and oil cans in the house. Similarly, Tuvar dal, gram dal, moong dal etc. were also kept for a year. Once wheat, rice arrive throughout the year, there is no fear in such a disaster and the food system goes on.
Seeing the son and daughter-in-law’s grandchildren with great enjoyment and listening to this, he said, “In our vast country, crores of people are middle class poor, if they do not get fresh vegetables, then they are suffering today.”
Our ancestors used to pickle in the house, it used to make food very enjoyable. This is also a feature of our culture. Foreigners do not have such a specialty.
There are small families now, but earlier joint families were big, so many sour, spicy, sweet pickles used to be kept in the house for the whole year. Pickle and bread were full meals if nothing was found. In the same way, if there was milk or buttermilk, then a meal of bread was also served with it. After taking out the cream on the milk, chutting it on the bread and putting a little sugar on it and making beedi, it used to eat four to five rotis for breakfast. In such a bowl, by adding a little oil, salt, chilli and sugar and adding some asafoetida, the people who used to make the cumin and used to eat that flavor with bread very fondly. In the same way, by cutting small pieces of roti, adding jaggery and ghee to it and laddus were made into small ones, they were eaten with great love.
At the time of such a lock-down disaster, the new generation should also keep in mind that if we do not have the facility to go to the market then how can we arrange our food at home, without going out.
Our culture is such that we can fulfill our needs at home. America and Western countries do not have such culture. In the event of a lockdown like today, they reach a state of madness or mental imbalance. In the US and Europe, 40% of the deaths are in the elderly. The reason for this is that they do not know the joint family there. Live alone and for this reason remain mentally and physically unwell. All the family members in our joint family here take care of their elderly people.
The corona virus can shake the internal systems of its body. But our culture protects us by becoming a shield against the corona and cannot allow the corona virus to occur.
The new generation should learn such things from the old generation and should not imitate the blindness of the West.