सूफी संत बायजीद ने घर छोड़कर वर्षों तक वन में तप किया। जब उन्हें साधना का लक्ष्य मिल गया, तो उन्होंने घर जाकर अपनी मां से मिलने का निर्णय लिया। घर पहुंचे तो उन्होने मां को कहते सुना कि, मेरे प्रभु मेरे दुःखी बेटे को सुख-शांति देना। उसे संतों का आश्रय मिले।
बायजीद ने बाहर से ही मां को आवाज लगाते हुए कहा, मां देख तेरा दुखी बेटा आ गया। मैं नासमझ था जो तेरी सेवा को छोड़कर तप कर रहा था। अब मैं तेरे पास ही रहकर तेरी सेवा करूंगा।
एक बार रात के समय मां ने पीने के लिए बायजीद से पानी मांगा। जब उन्होंने घड़े में से पानी लेना चाहा तो घड़ा खाली था। वह रात के समय ही नदी से पानी लेने के लिए चल दिए। जब वो आए तो मां सो चुकी थीं। उन्होंने सोचा यदि वह बर्तन नीचे रखते हैं तो मां जाग जाएगी। इसलिए वो पानी का बर्तन लिए घंटों तक खड़े रहे। जब मां की नींद खुली तब उन्होंने उन्हें पानी पिलाया।
संक्षेप में
जीवन में प्रभु की प्राप्ति का सबसे सरल मार्ग है। अपने माता-पिता का सेवा करना। जो लोग कभी अपने माता-पिता को दुख नहीं देते उन पर प्रभु की कृपा बनी रहती है।
Hindi to English
Sufi saint Baijid left his house and practiced penance in the forest for years. When he got the goal of cultivating, he decided to go home and meet his mother. When he came home, he heard the mother saying, “My Lord, give me the comfort of my son.” He found shelter for saints.
Baijid said to the mother from outside, “Look at your mother, your miserable son has come.” I was nonsense who was practicing penance except for your service. Now I will stay with you and serve you.
Once at night, the mother asked for water from the bayogid to drink. When he wanted to take water out of the pitcher, the pitcher was empty. He used to go to take water from the river at night. When she came, the mother was asleep. They thought that if they put the utensil down then the mother would wake up. So he stood for water for hours. When the mother’s sleep started, she woke him up.
in short
The simplest way is to get Lord in life. Serving your parents The grace of the Lord always remains on those who do not hurt their parents.