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सपनों का चुनाव

” आ गए आपके लाट साहब ?? ” डाॅक्टर साहब आते हीं पुछे। वैसे तो डाॅक्टर साहब आठ बजे से पहले नहीं आते थे । आज कहीं बाहर जाना था तो जल् ” काॅलेज से तो आ गया है। कहीं बाहर गया है।” कनिका सहमते हुए बोली। ” कहीं क्या?? गया होगा कहीं सूर-ताल मिलान

डाॅक्टर हब बोलते हुए कमरे में गए | डाॅक्टर साहब यानि नीरज और कनिका के शादी 22 साल हो गए हैं। नीरज बहुत कड़े मिजाज के हैं। डाॅक्टर हैं तो फुर्सत भी कम मिलती है लेकिन जितनी देर भी घर में रहतें हैं, घर के सारे सदस्य अपने-अपने कामों में लगे रहते हैं। घर में सन्नाटा सा छाया रहता है। नीरज पहले इतने चिड़चिड़े नहीं थे , उनके चिड़चिड़ेपन की वजह है …शौर्य … उनका बेटा। नीरज और कनिका को दो संतान है , बेटी… सौम्या और बेटा… शौर्य।

नीरज चाहते थे कि उनका बेटा उनकी तरह डाक्टर बने, लेकिन शौर्य बचपन से हीं पढ़ने में सामान्य रहा। जबकि सौम्या बचपन से हीं पढ़ाई में शौर्य से अव्वल रही। नीरज चाहते थे कि जितनी ट्यूशन लेना हो या जो भी चाहिए लो लेकिन हर हाल में शौर्य की पढ़ाई में सुधार होना चाहिए। लेकिन हर बच्चे की अपनी-अपनी बौद्धिक स्तर होती है, जरूरत से ज्यादा प्रेशर देने से हीं क्या होता??

रिजल्ट वाला दिन शौर्य और सौम्या के साथ कनिका का भी दिल की धड़कन तेज होती। जहाँ सौम्या का रिजल्ट 80- 90% के बीच रहता वहीं शौर्य का 40-50% के बीच। नीरज के सामने शौर्य मम्मी के पीछे छिपा रहता और सौम्या खुद पापा के हाथ में रिपोर्ट कार्ड देती। सौम्या को पापा से शाबाशी मिलती और शौर्य को फिर एक चेतावनी कि बड़े हो रहे, पढ़ाई पर ध्यान दो , अगली बार अच्छी रिजल्ट होनी चाहिए।

नीरज अपने दोनों बच्चों को सफल डाक्टर बनाना चाहते थे। शौर्य थोड़ा बड़ा हुआ तो उसका रुझान संगीत की तरफ बढ़ने लगा। स्कूल में अगर कोई संगीत का प्रोग्राम होता तो शौर्य निश्चित रूप से हिस्सा लेता। ये बात नीरज के गुस्से की आग में घी का काम करने लगा। उन्हें ये बात बिल्कुल हीं पसन्द नहीं कि उसका बेटा गाना- वाना में रूचि रखे। ये गुस्सा कनिका पर हीं निकलता कि वही बच्चों पर ध्यान नहीं देती। ” ये तुम्हारा काम है… ध्यान देना कि बच्चे पढ़ाई में ध्यान लगा रहें हैं या स्कूल जाकर नाच-गा रहें हैं??

बच्चों का भविष्य के बारे में सोंचना क्या सिर्फ मेरी जिम्मेदारी है ?? तुम्हें चिंता नहीं है कि तुम्हारा बेटा बड़ा होकर क्या बनेगा?? एक अच्छा डाक्टर या फिर गवैया??” कनिका पर गुस्सा निकालते नीरज कहत कनिका समझाते हुए नीरज से कहती ” अभी बच्चा है धीरे-धीरे करियर का ज्ञान होगा तो समझ जाएगा??”

” होनहार वीरवान के होत चिकने पात ” तुम्हारा बेटा कितना होनहार है ये दिख रहा है। सौम्या को देखो …. अभी से पता चल रहा है कि उसमें डाक्टर बनने के कितने गुण हैं… और एक इस नवाब को देख लो… एक तो पढ़ाई लाटसाहब से होती नहीं ऊपर से गवैया बनने चला है।

कनिका के मन में डर होता कि नीरज का दोनों बच्चों के साथ ऐसा व्यवहार…. एक को शाबाशी देना और दूसरे को इस तरह डांटना-फटकारना …दोनों बच्चों के बीच का रिश्ता ना खराब कर दे। अभी तक तो दोनों भाई-बहन में प्यार है लेकिन आगे …शौर्य इस बात को स्वीकारता था कि उसकी दीदी उसके पढ़ाई में आगे है… इसीलिए पापा उसे शाबाशी देतें हैं। उसे सौम्या से कोई प्रतिस्पर्धा नहीं थी। बस वो अपने तरह का था , उसे किसी के जैसा नहीं बनना था। सौम्या का मैट्रिक का परीक्षा हुआ ।

उसका रिजल्ट बहुत अच्छा हुआ। 96% मार्क्स थे। नीरज बहुत खुश हुए। 12th में साइंस ली। उसका तो तय था कि उसे डाॅक्टर बनना है। अगले साल शौर्य की बारी थी। कनिका शौर्य को समझाती … बेटा, तेरा मैट्रिक का एग्जाम है। मन से पढ़ाई कर। रिजल्ट अच्छा होना चाहिए।

जानते हो ना , पापा तुम दोनों भाई-बहन को डाॅक्टर बनाना चाहतें हैं। शौर्य बोला… मम्मी, मैं तुमसे एक बात कहना चाहता हूँ…. क्या बात है बेटा?? … कनिका उत्सुकता से पुछी । मम्मी! मुझे डाॅक्टर नहीं बनना!! मुझे डाॅक्टर बनने में कोई रूचि नहीं है। मैं सिंगर बनना चाहता हूँ!! ये क्या कह रहे हो शौर्य?? तुम्हारे पापा सुनेंगे तो पता नहीं क्या गजब ढाहेंग?? तुम्हारे पापा का सपना है कि तुम दोनों भाई-बहन डाॅक्टर बनो!! तो दीदी कर रही है ना पापा का सपना पुरा….

मुझे इंजेक्शन देख कर हीं डर लगता है। वो इंसानो को दर्द से कराहते देखना … ये सब मुझसे नहीं होगा , मम्मी! , मुझे अपने सपने पुरे करने दो !! मुझे मेरे हिस्से का आसमान चाहिए। जब मैं गाना गाता हूँ तो लोगों को कैसा लगता है पता नहीं लेकिन मुझे बहुत शांति महसूस होती है । लगता है जैसे कोई दुसरी दुनियाँ में पहुँच गया हूँ जहाँ सिर्फ शांति हीं शांति है।

कनिका के सामने एक अजीब सी दुविधा थी। एक तरफ बेटे का सपना कि वह सिंगर बनना चाहता है। और दुसरी तरफ उसके पापा… जो उसे डाॅक्टर बनाना चाहते हैं। कनिका को तो यह बात नीरज से कहने में भी डर लग रहा था कि शौर्य डाॅक्टर नहीं बनना चाहता।

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