Breaking News

ईमानदारी सबसे बड़ी पूँजी !!

यह बात सन 1965 की है।जब लाल बहादुर शास्त्री जी अपने देश के प्रधानमंत्री थे।एक दिन शास्त्री जी कपड़े की मिल देखने गए।शास्त्री जी के साथ मिल मालिक , उनके मंत्रिमंडल के कुछ सदस्य व उच्च अधिकारी भी थे। मिल देखने के बाद शास्त्री जी कपड़े की मिल के गोदाम में गए।जहां पर उन्होंने मिल मालिक से कुछ साड़ियां दिखाने के लिए कहा। 

मिल मालिक एक से एक सुंदर साड़ी शास्त्री जी को दिखाने लगा।शास्त्री जी ने कुछ साड़ियां देखने के बाद मिल मालिक से उन साड़ियों का दाम पूछ लिया। मिल मालिक ने उन साड़ियों की कीमत 800 से 1,000 रूपये तक बताई। जो उस समय के हिसाब से कुछ ज्यादा ही थी।शास्त्री जी बोले “ये तो बहुत अधिक कीमती है। आप मुझे वह साड़ियां दिखाइए जिनकी कीमत में अदा कर सकूं”।

मिल मालिक ने सकपकाते हुए बोला “आप हमारे प्रधानमंत्री हैं।इसीलिए हम आपको ये साड़ियों भेंट कर रहे हैं।हम आपसे इन साड़ियों की कीमत नहीं लेंगे। आप बस पसन्द कीजिए “।

शास्त्री जी ने तुरंत जवाब दिया “मैं प्रधानमंत्री हूं।इसका मतलब यह नहीं हैं कि मैं जो चीज खरीद नहीं सकता।उसे भेंट में लेकर अपनी पत्नी को पहनाऊंगा।इसीलिए आप मुझ जैसे गरीब व्यक्ति के लायक ही साड़ियां दिखाइए।जिनकी कीमत में आसानी से अदा कर सकूं”।

मिल मालिक ने शास्त्री जी से साड़ियों की कीमत ना देने के लिए काफी अनुनय विनय किया।  लेकिन शास्त्री जी कहां मानने वाले थे।उन्होंने साड़ीयों की पूरी कीमत चुकाई।तब परिवार की महिलाओं के लिए साड़ियां खरीदी।शास्त्री जी वाकई में ईमानदारी और सच्चाई के प्रतिरूप थे। 

Moral Of The Story (ईमानदारी सबसे बड़ी पूँजी )

ईमानदारी इंसान की सबसे बड़ी पूँजी हैं।उसके मजबूत व्यक्तित्व का आईना है।ईमानदार इन्सान को दुनिया का कोई भी लालच हरा नही सकता है। 

Check Also

babu-kunwar-singh

बाबू वीर कुंवर सिंह

यदि हमें पिछले 200-250 वर्षों में हुए विश्व के 10 सर्वश्रेष्ठ योद्धाओं की सूची बनाने को कहा जाए तो हम अपनी सूची में पहला नाम बाबू वीर कुंवर..