सीमापुर गांव के पास एक बड़ा सा जंगल था। उस गांव में बहुत सारे जंगली जानवर रहते थे। उस जंगल में एक अकेला हाथी रहता था, जिसके साथ कोई भी दोस्ती नहीं करना चाहता था। वह अकेला हाथी दोस्तों की तलाश में जंगल में भटकता रहता था।
एक बार हाथी को कुछ खरगोश मिले। “भाई क्या में तुम्हारा दोस्त बन सकता हु?” हाथी ने उनसे अनुरोध किया।
“आप मेरे घर के अंदर फिट होने के लिए बहुत बड़े हैं। तुम मेरे मित्र नहीं हो सकते”, खरगोश ने उत्तर दिया।
कुछ देर बाद हाथी को कुछ बंदर दिख गए। जब हाथी ने उनसे दोस्ती करने को पूछा तब उन बंदोरोने जवाब दिया “आप बहुत बड़े हैं और पेड़ों पर झूल नहीं सकते हैं जैसा कि मैं करता हूं। इसलिए हम आपके दोस्त नहीं हो सकते।”
फिर हाथी को एक मेंढक मिला और पूछा कि क्या वह उसका दोस्त हो सकता है? “आप बहुत बड़े और भारी हैं। तुम मेरी तरह नहीं कूद सकते। मुझे क्षमा करें, लेकिन आप मेरे मित्र नहीं हो सकते।” मेंढक ने उत्तर दिया।
हाथी निराश होके आगे चला गया। वहाँ उसकी कुछ लोमड़ियों से मुलाकात हो गयी। और उसे वहां भी एक ही जवाब मिला, कि वह बहुत बड़ा है।
अगले दिन, हाथी ने देखा की जंगल के सभी जानवर डर के मारे भाग रहे थे। हाथी ने एक हिरण को रोका और पूछा कि क्या हो रहा है और उसने बताया गया कि एक बाघ सभी जानवरों पर हमला कर रहा है। हाथी अन्य कमजोर जानवरों को बाघ से बचाना चाहता था, वह जल्दी से बाघ के पास गया और बोला “प्लीज सर, मेरे दोस्तों को अकेला छोड़ दो। इन्हें न खाएं हम इस जंगल में मिल जुलकर रहते है।” बाघ ने उसकी बात नहीं सुनी और हाथी को अपने रस्ते में जाने को कहा।
बाघ सुनने को राज़ी नहीं था और हाथी को कोई अन्य तरीका भी नहीं दिख रहा था, हाथी ने बाघ को जोरसे लात मार दी और बाघ डर के मारे वहां से भाग गया।
हाथी ने कैसे अपने बहादुरी से बाघ को भगाया ये देखकर सभी जानवर एकजुट हो गए।