गगरिया मेरी ना फोड़ो कान्हा काले
सास मेरी दे गाली ओ कान्हा काले
हो नटखट मैं जोडू दो हाथ,
करो न बार जोरी मेरे साथ
मैं तुम से रे हारी ओ कान्हा काले
बने हो क्यों इतने बेपी,
भरन दो अब मोहको तू नीर,
कान्हा काले
ना रोको रस्ता मेरा श्याम
पडा है घर में सारा काम
पड़े गी मुझे भारी ओ कान्हा काले
करो हम पर इतना एहसास,
करे है अर्ज रूपम धीरान
हे गिरवर गिरधारी तेरे खेल निराले
गगरिया मेरी ना फोड़ो कान्हा काले……….