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GAYATRI MANTRA KI SHAKTI || गायत्री मंत्र का जाप और उच्चारण विधि

गायत्री वेद जननी , गायत्री पाप नाशिनी, गायित्री सभी वेदों की माता है। गायत्री मंत्र सभी पापों का नाश करने वाला है। इस मंत्र को सभी जप करते हैं। बचे से लेकर वृद्धों तक इस मंत्र को जप करते हैं। कुछ लोग कस्सेट्स में भी चलते। कुछ लोग ऑडियो साउंड भी श्रवण करते हैं। लेकिन इस मंत्र की जो महिमा है वो अलग ही बताई गयी है। यह मंत्र पहले तो हमें समझने की ज़रूरत है की यह मंत्र शापित मंत्र है।

गायत्री मंत्र में इतना पावर थी की हमारे ऋषियों को चिंता होने लगी की कलयुग में कोई इस मंत्र का उनुचित उपयोग न करें। इसलिए तन ऋषियों ने इस मंत्र को श्राप दिया , इसकी शक्तियों को काम करने के लिए ,ऋषि विश्वामित्र , ऋषि वशिष्ठ , ब्रह्मा जी। इस मंत्र को श्राप दिया की आपकी शक्तियां कम हो ताकि आपका कोई उनुचित उपयोग न करें। यह बहुत शक्तिशाली मंत्र है। तो बंधुओं अगर हम इस मंत्र का जप करना चाहते हैं तो इस मंत्र का जप करने का नियम जो बताया है वह अलग ही है। सर्वप्रथम तो हाथ में जल लेकर इस मंत्र के लिए प्रार्थना करनी चाहिए।

विश्वामित्र जी, वशिष्ठ जी, ब्रह्मा जी से प्रार्थना करें की हे भगवन हम इस मंत्र का जप कर रहे हैं इस मंत्र को श्राप से मुक्त करें। यह प्रार्थना करने के बाद इस मंत्र को जप करने का जो विधान है वो है ‘उपांश।’ इस मंत्र का हमें उपांशु जाप करना चाहिए। उपांशु जाप में क्या होता है की हमारा बोलै हुआ हमें ही सुनाई न दे। जब हम इस मंत्र का जप करने के लिए बैठें तो हमारी गर्दन सीधी हो ,कमर सीधी हो और हम बोले हमें ही सुनाई न दे हमारे औंठ हिले नहीं।

दांत बहार दिखे नहीं ,जीभ हिले नहीं। जीभ भी नहीं हिलना चाहिए ,औंठ भी नहीं हिलना चाहिए और फिर हमें इस मंत्र का जप करना चाहिए। ऐसे हम इसका मानसिक जाप करेंगे। मैं और दिमाग में यह मंत्र हमारे गुंजायमान होगा। जब इस प्रकार से हम इसका जप करते हैं तो हमें बहुत ही तेज प्राप्त होता है ,फल प्राप्त होता है। ख़ास कर विधयर्थियों को तो इस मंत्र का उपांशु जाप करना चाहिए।

ॐ भूर्भव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं
भर्गो देवस्य धीमहि
धियो यो न: प्रचोदयात्।

असली गायत्री मंत्र क्या है?
ॐ भूर्भव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।

मन्त्र के इस रूप को मनु ने सप्रणवा, सव्याहृतिका गायत्री कहा है और जप में इसी का विधान किया है।

गायत्री मंत्र जप के नियम क्या हैं?
गायत्री मंत्र का जाप कम से कम 3 बार करें। 108 बार एक शुभ संख्या मानी जाती है इसलिए आप या तो इस संख्या को 3 से विभाजित कर सकते हैं (सूर्योदय, दोपहर और सूर्यास्त के लिए 36 बार) या पूरे मंत्र का एक बार में 108 बार जाप कर सकते हैं। गायत्री मंत्र का जाप शुरू करने से पहले साफ और शुद्ध मन और हृदय रखें।

गायत्री मंत्र हमारी रक्षा कैसे करता है?
श्रद्धा और विश्वास के साथ गायत्री मंत्र का जाप आध्यात्मिक साधक को दैवीय सुरक्षा प्रदान करता है । ऐसा कहा जाता है कि गायत्री के बिना देवी मां के अन्य रूपों की पूजा करना अन्य माताओं की पूजा करना और अपनी मां को भूलने जैसा है।

गायत्री मंत्र कैसे बोला जाता है?
-गायत्री मंत्र जप करने से पहले साफ और सूती वस्त्र पहनें. -कुश या चटाई का आसन पर बैठकर जाप करें. -तुलसी या चन्दन की माला का प्रयोग करें. -ब्रह्ममूहुर्त में यानी सुबह पूर्व दिशा की ओर मुख करके गायत्री मंत्र का जाप करें और शाम को पश्चिम दिशा में मुख कर जाप करें.

गायत्री मंत्र इतना शक्तिशाली क्यों है?
गायत्री मंत्र को एक सार्वभौमिक प्रार्थना माना जाता है जिसके बारे में कहा जाता है कि यह आध्यात्मिक विकास और ज्ञान को बढ़ावा देता है। एक आम धारणा यह है कि इसका प्रतिदिन पाठ करने से आपको भौतिक प्रगति प्राप्त करने में मदद मिलेगी। इसे ध्यान के मंत्र के रूप में उपयोग करने से व्यक्तिगत परिवर्तन आएगा और सभी प्रयासों में सफलता मिलेगी।

क्या हम रात में गायत्री मंत्र सुन सकते हैं?
आप जब चाहें किसी भी समय गायत्री मंत्र का जाप कर सकते हैं , लेकिन चूंकि यह सूर्य, प्रकाशमान स्रोत का सम्मान करता है, इसलिए आपको यह सुबह के समय या जब सूर्य अस्त हो रहा हो तब सबसे अधिक शक्तिशाली लग सकता है।

गायत्री मंत्र से क्या लाभ होता है?
मन के दुख, द्वेष, पाप, भय, शोक जैसे नकारात्मक चीजों का अंत हो जाता है। इस मंत्र के जाप से मनुष्य मानसिक तौर पर जागृत हो जाता है। साथ ही कहा जाता है कि इस मंत्र में इतनी ऊर्जा है कि नियमित रूप से तीन बार इसका जाप करने से सारी नकारात्मक शक्तियां नष्ट हो जाती हैं। रोजाना तीन बार गायत्री मंत्र का जाप करना चाहिए।

गायत्री मंत्र पढ़ने से क्या लाभ होता है?
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, गायत्री मंत्र का जाप करने से व्यक्ति के अंदर सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। मन के दुख, द्वेष, पाप, भय, शोक जैसे नकारात्मक चीजों का अंत हो जाता है। इस मंत्र के जाप से मनुष्य मानसिक तौर पर जागृत हो जाता है।

क्या मंत्र सच में काम करता है?
मंत्र ध्यान से कई स्वास्थ्य लाभ हो सकते हैं। मंत्र विश्राम प्रतिक्रिया उत्पन्न करने में मदद कर सकते हैं, जिससे आपको शांति की अनुभूति होती है। यह ध्यान भय या चिंता जैसी कष्टदायक भावनाओं से ध्यान भटका सकता है।

हिंदू धर्म में सबसे शक्तिशाली मंत्र क्या है?
गायत्री मंत्र को सभी हिंदू मंत्रों में सबसे सार्वभौमिक माना जाता है, जो ज्ञान के सिद्धांत और आदिम सूर्य की रोशनी के रूप में सार्वभौमिक ब्रह्म का आह्वान करता है।

क्यों वर्जित है स्त्रियों के लिए गायत्री मंत्र का जाप?
स्त्रियों के गायत्री मंत्र का जाप न करने के पीछे का सबसे बड़ा कारण महिलाओं को होने वाला मासिक धर्म है। हिंदू धर्म के अनुसार मासिक धर्म के दौरान स्त्रियों को किसी भी तरह के धार्मिक कार्य और पूजा में हिस्‍सा नहीं लेना चाहिए। इसलिए स्त्रियों को गायत्री मंत्र का जाप नहीं करना चाहिए।

ओम श्रीम स्वाहा का अर्थ क्या है?
ॐ=ब्रह्मण (ईश्वर), श्रीं=लक्ष्मी, ह्वीं=धन, क्लीं=दुर्गति नाशिनी, श्रीं=लक्ष्मी, लक्ष्मीरागच्छागच्छ=माँ लक्ष्मी का आगमन, मम=मेरे, मन्दिरे=मंदिर में, तिष्ठ=ठहरना, स्वाहा=सही रीति से पहुंचाना.

सबसे बड़ा मंत्र क्या है?
शास्त्रों में गायत्री मंत्र को बेहद शक्तिशाली बताया गया है. यही नहीं इसे महामंत्र कहा गया है. गायत्री मंत्र ‘ॐ भूर्भव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्’ 24 अक्षरों से बना है.

गायत्री मंत्र दिन में कितनी बार करना चाहिए?
रोज़ घर से बाहर जाते समय 5 या 11 बार गायत्री मंत्र का जाप करना चाहिए, इससे समृद्धि सफलता, सिद्धि और उच्च जीवन की प्राप्ति होती है।

गायत्री मंत्र कब करना चाहिए?
गायत्री मंत्र के जाप का पहला समय है प्रात:काल, सूर्योदय से थोड़ी देर पहले मंत्र जाप शुरू किया जाना चाहिए। जाप सूर्योदय के बाद तक करना चाहिए। मंत्र जाप के लिए दूसरा समय है दोपहर का। तीसरा समय है शाम को सूर्यास्त के कुछ देर पहले।

कौन सा मंत्र मानसिक शक्ति देता है?
मन की शांति के लिए रोजाना 108 बार ”ॐ एकदन्ताय विद्महे वक्रतुंडाय धीमहि तन्नो बुदि्ध प्रचोदयात” का जाप करें. भगवान गणेश के भक्त इस मंत्र का जाप हर बुधवार को कर सकते हैं, लेकिन मन की शांति के लिए आप इस मंत्र का जाप सुबह या शाम में किसी भी समय कर सकते हैं.

गायत्री मंत्र किस दिन शुरू करना चाहिए?
यदि आप प्रत्येक सप्ताह केवल एक दिन अभ्यास कर सकें तो शुक्रवार सबसे शुभ है। जपकर्ता को गायत्री मंत्र का पाठ शुरू करने से पहले पांच बार एक सरल प्राणायाम करने, महत्वपूर्ण सांस का विस्तार करने, जैसे वैकल्पिक नासिका श्वास, करने की भी सिफारिश की जाती है।

क्या हम रात में गायत्री मंत्र सुन सकते हैं?
आप जब चाहें किसी भी समय गायत्री मंत्र का जाप कर सकते हैं , लेकिन चूंकि यह सूर्य, प्रकाशमान स्रोत का सम्मान करता है, इसलिए आपको यह सुबह के समय या जब सूर्य अस्त हो रहा हो तब सबसे अधिक शक्तिशाली लग सकता है।

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