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पूज्य श्री गोस्वामी तुलसीदास

1966 में हनुमान गढ़ी में लिखी गईं श्री हनुमान चालीसा जो की शुद्ध रूप से वैसी ही है जैसी पूज्य जगद्गुरु रामभद्राचार्य महाराज जी ने संपादित की है |पूज्य गुरुदेव की ये प्रतिज्ञा है की उन्होंने पूज्य श्री गोस्वामी तुलसीदास जी गलती को नही बल्कि सैकड़ों सालों से रखे होने की वजह से प्रति के मिटे शब्दों को जो गीता प्रेस ने अपने तरीके से लिख दिया उनको सुधरा है.. गोस्वामी जी गलत हो ही नही सकते ये गुरुजी सदैव कहते है और गोस्वामी जी ने गलत लिखा भी नही है बस गीता प्रेस से छपने में जो गलतियां हुई है बस उसे वो सुधार रहे है !

तुलसी पीठाधीश्वर जगदगुरु रामभद्राचार्य का कहना है कि हनुमान चालीसा का गलत पाठ किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि कुछ चौपाइयों में गलतियां हैं. इन अशुद्धियों को ठीक किया जाना चाहिए. उनका कहना है कि पब्लिशिंग की इस वजह से लोग गलत शब्दों का उच्चारण कर रहे हैं.

गलती १: पद्मविभूषण रामभद्रचार्य ने कहा कि हनुमान चालीसा की एक चौपाई है-‘शंकर सुमन केसरी नंदन…उन्होंने बताया कि हनुमान को शंकर का पुत्र बोला जा रहा है, जो कि गलत है. शंकर स्वयं ही हनुमान हैं, इसलिए ‘शंकर स्वयं केसरी नंदन’ बोला जाना चाहिए.
गलती २ : उन्होंने ने आगे कहा कि हनुमान चालीसा की 27वीं चौपाई बोली जा रही है- ‘सब पर राम तपस्वी राजा’, जो कि गलत है. उन्होंने बताया कि तपस्वी राजा नहीं है… सही शब्द ‘सब पर राम राज फिर ताजा’ है |
गलती ३ : उन्होंने बताया कि इसी तरह हनुमान चालीसा की 32वीं चौपाई में ‘राम रसायन तुम्हारे पास आ सदा रहो रघुवर के दासा…’ यह नहीं होना चाहिए. जबकि बोला जाना चाहिए- ‘… सादर रहो रघुपति के दासा’.
गलती 4: उन्होंने बताया कि हनुमान चालीसा की 38वीं चौपाई में लिखा है- ‘जो सत बार पाठ कर कोई…’ जबकि होना चाहिए- ‘यह सत बार पाठ कर जोही

कोठी मीना बाजार का नाम बदलने की मांग
रामभद्राचार्य का कथावाचन कोठी मीना बाजार में चल रहा है. उन्होंने कोठी मीना बाजार का नाम बदलने की मांग की है. उन्होंने कहा कि इसका नाम सीता बाजार रख दिया जाना चाहिए.

भगवान जो भी करते हैं अच्छे के लिए करते हैं

बहुत पुरानी बात है एक राजा था राजा बहुत ही गुस्सैल स्वभाव का था । राजा का एक मंत्री था वह बहुत ही ज्ञानी और चतुर था । राजा जब भी कहीं बाहर जाता मंत्री हमेशा उसके साथ ही रहता था । मंत्री अक्सर एक ही बात कहता था – ” भगवान जो भी करते हैं अच्छे के लिए करते हैं। “
एक दिन की बात है राजा कुछ कार्य कर रह था तभी राजा की उंगली में कुछ लग जाने से राजा की उंगली कट गई । राजा को बहुत दर्द हो रहा था पास में मंत्री जी भी खड़े हुए थे तभी मंत्री जी
बोले राजन चिंता ना करिए सब ठीक हो जायेगा । भगवान जो भी करते हैं अच्छे के लिए ही करते हैं। “
राजा की उंगली में बहुत तेज दर्द हो रहा था और मंत्री की इस तरह की बात को सुनकर राजा आग बबूला हो गया और मंत्री को जेल में डालने का आदेश दे दिया । राजा का आदेश पाकर सैनिकों ने मंत्री जी को पकड़ लिया । राजा ने मंत्री से पूछा – ” मंत्री जी ! अब आप जेल जा रहे हो क्या अब भी आप यही कहोगे ” भगवान जो भी करते है अच्छे के लिए करते हैं | “
मंत्री जी जेल जाते-जाते भी बोले – ” भगवान जो भी करते हैं अच्छे के लिए ही करते हैं।”
कुछ दिनों बाद एक दिन राजा शिकार खेलने जंगल गया तभी एक हिरण का पीछा करते- करते राजा अपने सैनिकों से बिछड़ गया और जंगल में काफी अंदर चला गया। जंगल के अंदर एक आदिवासी कबीले के लोगों ने राजा को पकड़ लिया और उसकी बलि देने के लिए कबीले के मुखिया के पास ले गए।
कबीले के मुखिया ने राजा को बलि के लिए तैयार करके लाने के लिए कहा | कबीले के लोगों ने राजा को नहला धुला कर बलि के लिए तैयार किया और बलि वाले स्थान पर ले गए। राजा बहुत घबराया हुआ था क्योंकि वह बिल्कुल अकेला ही था और उसके सैनिकों उससे बिछड़ चुके थे । अब उसकी सहायता करने वाला यहां कोई नहीं था। उसे सिर्फ और सिर्फ भगवान पर भरोसा था।
जैसे ही राजा की बलि दी जाने वाली थी तभी कबीले का मुखिया बलि को रोकते हुए कहा – ” इस व्यक्ति की वली नहीं दी जा सकती क्योंकि इसकी एक उंगली कटी हुई है और और खंडित व्यक्ति की बलि नहीं दी जाती।”
कबीले के लोगों ने राजा को छोड़ दिया । राजा को समझ आ गया कि ईश्वर जो करता है वह अच्छे के लिए ही करता है अगर उस दिन राजा की उंगली नहीं कटी होती तो आज उसकी बलि दे दी जाती। जंगल से निकलकर राजा किसी तरह अपने महल में पहुंचता है और मंत्री को बुलाकर पूछता है – ” मंत्री जी ! अब मैं भी यह मानने लगा हूं कि ” ईश्वर जो करते हैं अच्छे के लिए करते हैं” किंतु मैंने आपको इस महल से निकाल कर जेल भेज दिया तो इसमें आपके लिए क्या अच्छा हुआ। “
मंत्री कहता है – ‘ हे राजन ! जिस प्रकार भगवान ने आपकी उंगली काट कर आपको बलि से बचा लिया उसी प्रकार मुझे जेल भेजकर मेरे प्राण बचा लिए।”
राजा पूछता है – ” भला वह कैसे ? “
मंत्री राजा को उत्तर देता है – ” हे राजन ! मै हमेशा आपके सांथ रहता था, अगर आप मुझे महल से नहीं निकालते और जेल ना भेजते तो मैं भी आपके साथ शिकार के लिए जाता और कबीले के लोग अवश्य ही मेरी बलि दे देते क्योंकि मेरा कोई भी अंग खंडित नहीं है। इस प्रकार भगवान जो भी करते हैं अच्छे के लिए ही करते हैं

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