शरणागत को तारते , नटनागर गोपाल ,
निशदिन भजिये सावरा ,गोविंद दीनदयाल,,,,,,,
गोविंदा गोपाला मुरली मनोहर नंदलाला ,
मेरे नंदलाला मेरे गोपाला………….
गोविंदा गोपाला मुरली मनोहर नंदलाला ,,,,,,,
बार बार उसने भक्तो को इन्तेहान में डाला
पर्वत से प्रहलाद को जिसने गेंद की तरह उछाला
मीरा सोना कुण्डन बन गई पीकर जहर प्याला
पहले पिया प्याला बाद में आया मुरली वाला
गोविंदा गोपाला मुरली मनोहर नंदलाला,,,,,,
उसको पाना चाहे तो कुछ सीख ले नंदे नाई से
या फिर पुस्तक पढ़ ले प्यारे जाके सदन कसाई से
कान पकड़ कर तोबा करले पहले यार बुराई से
जहर का प्याला पीना पहले सीख तू मीराबाई से
गोविंदा गोपाला मुरली मनोहर नंदलाला,,,,,
भक्ति तो तू करता है पर मन में कपट जमाने का,
देख के तेरी कूढ़ सजावट भईया वो नही आने का,
जब तक सत्संग साबुन से ना मन की मेल हटाने का,
तब तक तेरे छिलके तो क्या केले भी नही खाने का,
गोविंदा गोपाला मुरली मनोहर नंदलाला ,,,,
तेरे नाम बिना है जग में चारो और अन्धेरा
तेरे नाम से ही जीवन में सुन्दर मुधर सवेरा
नजर मेहर की हो जाये तो जीवन सफल है तेरा
तेरी शरण मिले तो कट जाये आवागमन का फेरा
गोविंदा गोपाला मुरली मनोहर नंदलाला,,,,,,