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Tag Archives: aaj ki poem

वक्त की करवट

Recognition-of-time

घर पर ही रहना फिजाएं खराब है। बाहर ना निकल पाओगे , इस चींख पुकार के दौर में। जिस तरफ निगाह दौड़ाओगे , केवल मायूसी ही पाओगे। आंसू चाह कर भी रोक ना पाओगे, ये तो खुद बखुद निकल जाएंगे।। घर पर ही रहना फिजाएं खराब है। जिन के बिना ना गुजरता था एक पल भी , आज उनसे ही …

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