Breaking News

मेहनत का स्वाद

}

मेहनत का स्वाद
गुरु नानक देव जी अपने शिष्यों के साथ धर्म चर्चा के लिए एक स्थान से दूसरे स्थान जाया करते थे। इसी क्रम में उन्हें एक गांव और शहर के बीच का स्थान प्राप्त हुआ, जहां विशाल भव्य मंदिर था। गांव और शहर के लोग यहां बड़े-बड़े अनुष्ठान किया करते थे। गुरु नानक देव जी वहां रुके उनके रुकने की खबर चारों ओर फैली। उनसे मिलने शहर के बड़े-बड़े सेठ आए और गांव के गरीब तथा मेहनत मजदूरी करके अपना जीवन यापन करने वाले व्यक्ति भी आए। दिन भर ज्ञान चर्चा होती रही, रात्रि के भोजन का निमंत्रण शहर के साहूकार तथा गांव के रामसेवक की ओर से आया जो मध्यम वर्गीय था।
दोनों ने अपने सामर्थ्य अनुसार गुरुदेव के लिए भोजन की व्यवस्था की। रामसेवक अपनी पत्नी के साथ कुछ पकवान ले आया था, वही साहूकार ने अनगिनत पकवान नानक जी को भेंट किया। नानक जी दोनों के स्वागत सत्कार से प्रसन्न हुए उन्होंने धीरे धीरे कर रामसेवक के लाए हुए पकवानों से अपना भोजन पूरा किया। साहूकार देखता रहा जिसे ईर्ष्या हो रही थी कि नानक देव उनके द्वारा लाए हुए व्यंजन को नहीं छू रहे।
जब नानक देव जी भोजन कर उठे तब एक ने शिकायत प्रश्न किया- गुरुदेव मेरे द्वारा लाए गए व्यंजन तो आपने स्पर्श तक नहीं किया वही इस गरीब निर्धन व्यक्ति के द्वारा लाए गए व्यंजन को आपने आनंद पूर्वक खाया, ऐसा क्यों? नानक जी ने कहा तुम्हारे प्रश्न में ही तुम्हारे उत्तर छुपे हैं, गरीब व्यक्ति अपनी ईमानदारी और मेहनत की कमाई से व्यंजन में आया था, जिसमें प्रसाद की अनुभूति हो रही थी। वही तुम्हारे द्वारा लाए गए व्यंजन ईर्ष्या और अहंकार के भाव प्रदर्शित कर रहे थे, इसलिए मेहनत के स्वाद का आनंद मैंने पाया।

About vikkykyt@yahoo.com