हार पहना है तूने जो बाबा,
उसमे भगति का पुश्प पिरोया,
आंसू निकले जो याद में तेरी उन अश्को से है इनको धोया,
हार पहना है तूने जो बाबा…….
मैं तड़प ता हु अंदर से बाबा जब ये दुनिया है मुझे सुनाती,
कैसी कैसी है बाते ये करती मुझको हर पल ये निचा दिखती,
झूठी दुनिया की ये मोह माया जिसने है सारा संसार खोया,
आंसू निकले जो याद में तेरी…….
फूल ताजे मगर बाबा मेरी मन की बगियाँ सुखी हुई थी,
क्या कहु मेरी खुद की ये किस्मत संवारा रूठी हुई थी,
देख हाथो की अपनी लकीरे क्या बताओ के कितना मैं रोया,
आंसू निकले जो याद में तेरी…….
तेरा दरबार ओ मेरे बाबा छोड़ कर और कहा जाऊ,
तेरे चरणों में निकले सांसे तेरी गोदी में दम तोड़ जाऊ,
तुझसे लागी लग्न श्याम ऐसी तेरी चितवन में शिवम् है खोया,
आंसू निकले जो याद में तेरी………………