हमारी ही मुद्ठी में आकाश सारा ,
जब भी खुलेगी चमकेगा तारा ॥
कभी न ढले जो, वो ही सितारा ,
दिशा जिससे पहचाने संसार सारा ॥
हथेली पे रेखाएँ हैं सब अधूरी ,
किसने लिखी हैं, नहीं जानना है ॥
सुलझाने उनको, ना आएगा कोई, समझना है ,
उनको ये अपना करम है ॥
अपने करम से दिखाना है सबको ,
खुदका पनपना, उभरना है खुदको ॥
अँधेरा मिटाए जो नन्हा शरारा ,
दिशा जिससे पहचाने संसार सारा ॥
हमारे पीछे कोई आए ना आए ,
हमें ही तो पहले पहुँचना वहाँ है ॥
जिन पर है चलना नई पीढ़ियों को ,
उन्हीं रास्तों को बनाना हमें है ॥
जो भी साथ आएँ उन्हें साध ले लें ,
अगर ना कोई साध दे तो अकेले ॥
सुलगा के खुद को मिटा ले अँधेरा ,
दिशा जिससे पहचाने संसार सारा ॥