एक जंगल में एक खरगोश रहता था। उसके ढेर सारे मित्र थे। एक दिन खरगोश ने कुछ शिकारी कुत्तों की आवाज सुनी। वे जंगल की ओर आ रहे थे।
खरगोश बहुत डर गया। अपनी जान बचाने के लिए वह अपने मित्रों के पास सहायता मांगने गया। घोड़े के पास पहुँचकर उसने सारी बात बताई और कहा, “क्या आप मेरी सहायता करेंगे? कृपया मुझे अपनी पीठ पर बिठाकर यहाँ से ले चलिए।”
घोड़े ने कहा, “क्षमा करना भाई, मुझे अभी बहुत काम है।” खरगोश बैल के पास गया और बोला, “मेरी जान पर बन आई है… क्या आप अपने नुकीले सींगों से शिकारी कुत्तों को डरा देंगे?” बैल ने कहा कि उसे किसान की पत्नी के पास जाना है।
खरगोश भालू के पास गया। उसने भी व्यस्तता का बहाना बनाया। खरगोश ने बकरी के पास जाकर कहा, “बहन, शिकारी कुत्तों से मुझे बचा लो।” बकरी बोली, “मुझे उनसे बहुत डर लगता है । क्षमा करो, मैं जरा जल्दी में हूँ। तुम किसी और से सहायता ले लो।”
शिकारी कुत्ते बहुत पास आ चुके थे खरगोश ने अब भागना शुरु किया। सामने ही उसे एक बिल दिखाई दिया। उसमें छिपकर खरगोश ने अपनी जान बचाई।
शिक्षा : दूसरों पर निर्भर रहने की जगह स्वयं पर भरोसा करना चाहिए।