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माहे-रमजान में छुपा संदेश

आत्मा को पाकीजगी का मौका देता है रमजान

Ramdan
Ramdan

Hidden messages in Maha-Ramzan

बंदे को हर बुराई से दूर रखकर अल्लाह के नजदीक लाने का मौका देने वाले पाक महीने रमजान की रूहानी चमक से दुनिया एक बार फिर रोशन हो चुकी है और फिजा में घुलती अजान और दुआओं में उठते लाखों हाथ खुदा से मुहब्बत के जज्बे को शिद्दत दे रहे हैं  दौड़-भाग और खुदगर्जी भरी जिंदगी के बीच इंसान को अपने अंदर झांकने और खुद को अल्लाह की राह पर ले जाने की प्रेरणा देने वाले रमजान माह में भूख-प्यास समेत तमाम शारीरिक इच्छाओं तथा झूठ बोलने, चुगली करने खुदगर्जी, बुरी नजर डालने जैसी सभी बुराइयों पर लगाम लगाने की मुश्किल कवायद   रोजेदार को अल्लाह के बेहद करीब पहुंचा देती है  दारुल उलूम देवबंद के मुहतमिम मौलाना अब्दुल कासिम नोमानी रमजान की फजीलत के बारे में कहते हैं कि इस माह में रोजेदार अल्लाह के नजदीक आने की कोशिश के लिए भूख-प्यास समेत तमाम इच्छाओं को रोकता है। बदले में अल्लाह अपने उस इबादत गुजार रोजेदार बंदे के बेहद करीब आकर उसे अपनी रहमतों और बरकतों से नवाजता है  उन्होंने कहा कि इस्लाम की पांच बुनियादों में रोजा भी शामिल है और इस पर अमल के लिए ही अल्लाह ने रमजान का महीना मुकर्रर किया है। खुद अल्लाह ने कुरान शरीफ में इस महीने का जिक्र किया है  रमजान की विशेषताओं का जिक्र करते हुए नोमानी ने बताया कि इंसान के अंदर जिस्म और रूह है। आम दिनों में उसका पूरा ध्यान खाना-पीना और दीगर जिस्मानी जरूरतों पर रहता है लेकिन असल चीज उसकी रूह है। इसी की तरबियत और पाकीजगी के लिए अल्लाह ने रमजान बनाया है  नोमानी ने बताया कि रमजान में की गई हर नेकी का सवाब कई गुना बढ़ जाता है। इस महीने में एक रकात नमाज अदा करने का सवाब 70 गुना हो जाता है। साथ ही इस माह में दोजख (नरक) के दरवाजे भी बंद कर दिए जाते हैं उन्होंने कहा कि इसी महीने में कुरान शरीफ दुनिया में नाजिल (अवतरित) हुआ था  नोमानी ने कहा कि अमूमन 30 दिनों के रमजान माह को तीन अशरों (खंडों) में बांटा गया है। पहला अशरा ‘रहमत’ का है। इसमें अल्लाह अपने बंदों पर रहमत की दौलत लुटाता है। दूसरा अशरा ‘बरकत का है जिसमें खुदा बरकत का है जिसमें खुदा बरकत नाजिल करता है जबकि तीसरा अशरा ‘मगफिरत का है। चारवा अशरे में अल्लाह अपने बंदों को गुनाहों से पाक कर देता है ईशा का हैं  पाचवा असरा अल्लाह अपने बन्दो को दिले सूक्न देता है आजमगढ़ स्थित विश्वविख्यात इस्लामी शोधकार्य संस्थान दारुल मुसन्निफीन के उप प्रमुख मौलाना मुहम्मद उमेर अल सिद्दीक मौजूदा वक्त में रमजान के संदेश की प्रासंगिकता पर रोशनी डालते हुए कहते हैं कि आज का इंसान  बेहद खुदगर्ज हो चुका है लेकिन रोजों में वह ताकत है जो व्यक्ति को समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों का एहसास कराती है  मौलाना उमेर ने कहा कि रोजे बंदे को आत्मावलोकन का मौका देते हैं। अगर इंसान सिर्फ अपनी कमियों को देखकर उन्हें दूर करने की कोशिश करें तो दुनिया से बुराई खुद-ब-खुद खत्म हो जाएगी। रमजान का छुपा संदेश भी यही है 

Hindi to English

The illumination of the holy month of Ramzan, which gives the chance to bring the close of Allah away from every evil, will bring the world closer to Allah, the world is once again illuminated; and millions of hands rising in Fija, and millions of hands in the dawn, inspire emotions of God In the month of Ramzan, inspiring the person to take a glimpse of himself in the race and selfless life, and take himself on the path of Allah, in the month of Ramadan, The hard work of reciprocating desires and lying, selfishness to slander, and a bad look, is to bring rosheed to Allah very close to him. The great Maulana Abdul Qasim Nomani of Darul Uloom Deoband says about the fury of Ramzan that this In the month, the roser prevents all the desires including hunger and thirst for trying to come to Allah. In return, Allah comes very close to his worshiped idol worshiper and receives his blessings and blessings. He said that Rosa is also included in the five bases of Islam and Allah has redeemed the month of Ramadan for its execution. Allah himself mentioned this month in Quran Sharif, mentioning the characteristics of Ramzan, Nomani told that there is Jism and Ruah in the person. In general, his full attention is to eat and drink and his body keeps on physiological needs, but the real thing is his heart. Allah has made Ramadan for the sake of the state and for the sake of it, Nomani said that the goodness of every good done in Ramadan increases manifold. In this month, the reward of offering a rakt prayer is 70 times. Also, in this month, the door of the hell (hell) is also closed. He said that in this month the Qur’an Sharif was a Nazi (quoted) in the world. Normani said that in the month of the month of Ramadan, three Ashars (sects) Is divided. The first Ashra is of ‘Rahmat’. In this, Allah loses the wealth of Rahmat on his bands. The second is’ Barkat ‘in which Khuda is Barkat, in which Khuda Barkat is Najil while the third Ashra’ is of Magafirat. Allah casts his clutches with criminals in the fourth place. Isha’s fifth position gives Allah the victory over his bondage Sub-Maulana Muhammad Umar al-Siddiq, the world’s leading Islamic research institute of Azamgarh, Darul Musnifeen, presently refers to the relevance of the message of Ramadan It is said that people today have become very self-sacrificing, but in everyday they are the ones who To someone’s offer to realize their responsibilities towards society are Maulana Umair said that the opportunity to introspect the fasting Fellow said. If the human beings try to remove them by looking at their weaknesses, then the world will be eliminated by evil itself. This is also the hidden message of Ramadan

 

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