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अपनी पहचान कैसे बनाएं!!

एक प्रसिद्ध लेखक पत्रकार और राजनयिक पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ जो बेहद ही हंसमुख स्वभाव और आकर्षक व्यक्तित्व के धनी है। उनकी पत्रकारिता देश ही नहीं अपितु विदेश में भी प्रसिद्ध है। उन्होंने वैसे जगह पर भी पत्रकारिता की है जहां अन्य पत्रकारों के लिए संभव नहीं है।उनकी हसमुख प्रवृत्ति और हाजिर जवाब का कोई सानी नहीं है। एक समय की बात है पुष्पेंद्र एक सभा को संबोधित कर रहे थे , सभा में जनसैलाब उमड़ा था , लोग उन्हें सुनने के लिए दूर-दूर से आए हुए थे।

जब वह अपना भाषण समाप्त कर बाहर निकले , तब उनकी ओर एक भीड़ ऑटोग्राफ के लिए बढ़ी। पुष्पेंद्र उनसे बातें करते हुए ऑटोग्राफ दे रहे थे। तभी एक नौजवान उस भीड़ से पुष्पेंद्र के सामने आया उस नौजवान ने उनसे कहा -” मैं आपका बहुत बड़ा श्रोता और प्रशंसक हूं , मैं साहित्य प्रेमी हूं , जिसके कारण मुझे आपकी लेखनी बेहद रुचिकर लगती है। इस कारण आप मेरे सबसे प्रिय लेखक भी हैं। मैंने आपकी सभी पुस्तकें पढ़ी है और आपके व्यक्तित्व को अपने जीवन में उतारना चाहता हूं। किंतु मैं ऐसा क्या करूं जिससे मैं एक अलग पहचान बना सकूं। आपकी तरह ख्याति पा सकूं।”

ऐसा कहते हुए उस नौजवान ने अपनी पुस्तिका ऑटोग्राफ के लिए पुष्पेंद्र की ओर बढ़ाई।

पुष्पेंद्र ने उस समय कुछ नहीं कहा और उसकी पुस्तिका में कुछ शब्द लिखें और ऑटोग्राफ देकर उस नौजवान को पुस्तिका वापस कर दी।

स पुस्तिका में यह लिखा हुआ था  –

” आप अपना समय स्वयं को पहचान दिलाने के लिए लगाएं ,

किसी दूसरे के ऑटोग्राफ से आपकी पहचान नहीं बनेगी।

जो समय आप दूसरे लोगों को लिए देते हैं

वह समय आप स्वयं के लिए दें। “

नौजवान इस जवाब को पढ़कर बेहद प्रसन्न हुआ और उसने पुष्पेंद्र को धन्यवाद कहा कि –

“मैं आपका यह वचन जीवन भर याद रखूंगा और अपनी एक अलग पहचान बना कर दिखाऊंगा। “

पुष्पेंद्र ने उस नौजवान को धन्यवाद दिया और सफलता के लिए ढेर सारी शुभकामनाएं भी दी।

Moral of the story

  • Create your own unique personality and identity instead of following others.
  • The one who follows will always have to remain under the shadow of the topper.
  • The biggest thing in life is respect and uniqueness you have for which people remember you.
  • So stop following. Start creating followers

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