जिस तरह एक दीपक की पहचान उसकी लौ से होती है, न कि उसके रंग-रूप या बनावट से। उसी प्रकार इंसान अपने स्वभाव से जाना जाता है। उसकी पहचान उसके कर्म से होती है। न कि उसकी शक्ल, सूरत व पहनावे से। सूरत से तो बगुला-हंस, भूंड-भंवरा एक से लगते हैं, पर कर्म से पहचाने जाते हैं कि कौन क्या है। ऐसे ही स्थिति इंसान कि भी है । कोई पाताल में बैठकर नेकी कर रहा है वो भी प्रकट होगी। कोई यदि किसी कोने में छिपकर बदी कर रहा है, वो भी सामने आएगी। अपने आपसे न कोई बचा है, न बच सकता है।
हर इंसान अपने स्वभाव के अधीन होता है। चाहे कोई लाख यत्न कर ले, पर अपनी सोच, कर्म, फितरत को नहीं छिपा सकता। उन्होंने कहा कि अपने अंदर के विपरीत भाव का रुपांतरण किया जा सकता है। जब बड़े-बड़े पापी-कपटी, कामी-क्रोधी, लोभी बदल सकते हैं, तो हम क्यों नहीं ? बस वैसा कर्म करना पड़ेगा। पहले भी पारस छूने से लोहा सोना बन जाता था, आज भी वैसा ही है। इंसान भी सही मार्ग दर्शन से अच्छाई का मार्ग अपना सकता है। इसके लिए पूर्ण सतगुरु की शरण में जाना पड़ेगा। यह मानव तन हम सभी को बहुत सौभाग्य से मिला है। इसलिए हमें अपने जीवन में कोई भी पाप व बुरे कर्म नहीं करने चाहिए।
कर्मों से ही इंसान की पहचान होती है। महंगे कपड़े तो पुतले भी पहनते है दुकानों में, इसलिए मनुष्य को चाहिए कि अच्छे कर्म करने चाहिए ताकि उसकी पहचान अच्छे कर्म करने वालों में हो। मनुष्य मन में किसी से बदला लेने का विचार न रखे। मनुष्य को चाहिए कि वो अपने मन में किसी से बदला लेने की भावना को छोड़ कर सामने वाले को बदल दे। आज इंसान की चाहत है कि उडऩे को पर मिले, और परिंदे सोचते हैं कि रहने को घर मिले।उन्होंने कहा कि जीवन में कभी भी मनुष्य को छोटी सोच, पैर की मोच आगे नहीं बढऩे देती है। मनुष्य को चाहिए कि वह बड़ी सोच के साथ जीवन बसर करें न कि छोटी सोच के साथ जीवन को जीए।
मनुष्य को चाहिए कि जिस मनुष्य जीवन के लिए देवता तरसते हैं, उस जीवन में अच्छे कर्म करें। मनुष्य को हमेशा मीठा बोलना चाहिए, क्योंकि कड़वे बोल बोलने से हमेशा हानि होती है।
यह तो हम जानते ही हैं कि महाभारत का युद्ध द्रोपदी द्वारा दुर्योधन को बोले गए कड़वे बोल के कारण हुआ था। एक बार एक धनवान सेठ था। उसने एक दिन सोचा कि उसके पास कितनी धन दौलत है, उसका पता करेगा। सेठ ने अपने यहां कार्य करने वालों से धन-दौलत के बारे में पूछा। सेठ को पता लगा कि अगर उसकी दस पीढ़ी भी काम न करें तो भी आराम से जीवन बसर कर सकती है। सेठ कुछ दिन खुश रहा, लेकिन उसे अपनी 11वीं पीढ़ी की चिंता होने लगी। यही सोच -सोचकर वह कमजोर होने लगा।
सेठ एक संत के पास गया पूरी बात बताई।संत ने नगरी में झोपड़ी में बुढिय़ा को दो सब्जी, चार रोटी देने से समस्या दूर होने का समाधान बताया। सेठ झोपड़ी में गया तो वहां एक बच्ची थी। बच्ची से उसकी दादी के बारे में पूछा तो उसने बताया कि वह भगवान के नाम जाप कर रही है पता नहीं कब तक सिमरण करेगी। सेठ बच्ची को सब्जी, रोटी देने लगा तो उसने कहा कि सुबह का भोजन को दे गया है। सेठ ने कहा कि शाम के लिए रख लो, तो बच्ची बोली शाम को आना, सेठ ने कहा कि अब भोजन ले लो तो बच्ची ने कहा जिस भगवान ने सुबह भोजन देने के लिए किसी को भेज दिया तो शाम को भी कोई आ जाएगा। सेठ ने सोचा कि बच्ची को शाम के भोजन की चिंता नहीं है जबकि वह 11वीं पीढ़ी की चिंता कर रहा है। इससे सेठ चिंता मुक्त होकर आराम से जीवन -बसर करने लगा।
ENGLISH TRANSLATE
The way a lamp is identified by its flame, not its appearance or texture. Similarly, human beings are known by their nature. He is identified by his karma. Not by his appearance, appearance and dress. From Surat, heron-swan and bhunda-bhanvara seem to belong to one, but by karma one knows who is what. The situation is similar to that of humans too. Someone sitting in the ground doing righteousness will also appear. If someone is hiding in a corner, she will also come forward. No one is left with himself, nor can be saved.
Every human being is subject to his nature. Even if one tries diligently, he cannot hide his thoughts, deeds and feelings. He said that the opposite can be transformed inside. When big sinners, hypocrites, sarcasm, greedy can change, then why don’t we? Will have to do just that. Even before touching the Paras, iron became gold, even today it remains the same. A person can also take the path of goodness with the right guidance. For this, one has to go to the shelter of the complete Satguru. All of us have got this human body very fortunately. Therefore, we should not commit any sins and bad deeds in our life.
A person is identified only by deeds. Expensive clothes are also worn by mannequins in shops, so a person should do good deeds so that he is recognized among those who do good deeds. Humans should not have the idea of taking revenge on anyone. Man should leave the feeling of taking revenge on someone in his mind and change the front. Today, human beings want to fly, and birds think that they should get a house to stay. He said that in life, never a little thought gives a man a leg sprain. Man should live life with big thinking and not live life with small thought.
Man should do good deeds in the life for which the deity craves for life. A man should always speak sweet, because speaking bitter words always causes harm.
We also know that the war of Mahabharata was caused by the bitter words spoken by Draupadi to Duryodhana. Once there was a wealthy Seth. He thought one day that he would find out how much wealth he had. Seth asked the people working in his place about the wealth. Seth came to know that even if his ten generations do not work, he can live a comfortable life. Seth was happy for a few days, but he began to worry about his 11th generation. After thinking this, he started becoming weak.
Seth went to a saint and told the whole thing. Sant told the old lady in the hut in the city to give him two vegetables, four roti and solve the problem. When Seth went to the hut there was a baby girl. When asked about her grandmother, she told that she is reciting the name of God, do not know how long Simran will do. Seth started giving vegetable and bread to the girl, then he said that he had given the morning meal. Seth said keep it for the evening, then the girl said come in the evening, Seth said that now take food, then the girl said that God sent someone to give food in the morning, then someone will come in the evening too. Seth thought that the girl is not worried about the evening meal while he is worrying about the 11th generation. Due to this, Seth started worrying and living a comfortable life.