महादेवी वर्मा हिन्दी की प्रसिद्ध कवयित्री थीं। आधुनिक हिन्दी की सबसे सशक्त कवयित्रियों में से एक होने के कारण उन्हें आधुनिक मीरा के नाम से भी जाना जाता है।
बात उन दिनों की है जब महादेवी छात्रा थीं। अचनाक उनके मन में भिक्षुणी बनने का विचार आया। उन्होंने लंका के बौद्ध विहार में महास्थविर को पत्र लिखा…‘मैं बौद्धभिक्षुणी बनना चाहती हूं। दीक्षा के लिए लंका आऊं या आप भारत आएंगे?’
वहां से उत्तर मिला… ‘हम भारत आ रहे हैं। नैनीताल में ठहरेंगे, तुम वहीं आकर मिल लेना।’ महादेवी जी ने अपनी सारी संपत्ति दान कर दी। वह नैनीताल पहुंची। सिंहासन पर गुरुजी बैठे थे। उन्होंने चेहरे को पंखे से ढंक रखा था। उन्हें देखने को महादेवी दूसरी ओर बढ़ीं, उन्होंने मुंह फेरकर फिर से चेहरा ढक लिया। वे देखने की कोशिश करती और महास्थविर चेहरा ढक लेते। ऐसा कई बार हुआ।
जब सचिव महोदय महादेवी जी को बाहर तक छोड़ने आए तो उन्होंने अंदर घटित घटना के बारे में उनसे पूछा। माहस्थविर चेहरा क्यों छिपा रहे थे ? सचिव ने बताया, वे स्त्री का मुख दर्शन नहीं करते हैं। यह उत्तर सुनते ही महादेवी जी ने कहा, इतनी दुर्बल मानसिकता वाले व्यक्ति को वे अपना गुरु नहीं बनाएंगी। आत्मा न स्त्री होती है न ही पुरुष। इस तरह महादेवी जी वापिस घर आ गईं।
इसके बाद उनके पास कई पत्र आए। लेकिन उन्होंने उत्तर नहीं दिया। इस तरह महादेवी जी बौद्ध भिक्षुणी बनते-बनते रह गईं। और उनके रूप में हिंदी जगत को मिला छायावाद का एक महान स्तंभ।
संक्षेप
हमें ईश्वर या गुरु के प्रति आस्था और श्रद्धा रखनी चाहिए। लेकिन अंधभक्ति को कोई स्थान नहीं देना चाहिए। ऐसा करने पर आप जीवन की बुराइयों से हमेशा दूर बने रहते हैं। और वास्तविक रूप में ईश्वर के नजदीक होते हैं।
Hindi to English
Mahadevi Verma was the famous poet of Hindi. Being one of the most powerful poets of modern Hindi, they are also known as modern Meera.
Things are the days when Mahadev was a student. Akinaka got the idea of becoming a monk in his mind. He wrote a letter to Mahavashvir in Buddhist Vihar of Lanka … ‘I want to become Buddhist. Will you come to India for initiation or will you come to India?
From there we got the answer … ‘We are coming to India. You will stay in Nainital, you will come there and meet you. ‘ Mahadevi ji donated all his property. He reached Nainital. Guruji sat on the throne. They covered the face with fan. Mahadevi rose on the other side to see them, he turned his face back and covered the face again. They tried to see and masked the face. This happened many times.
When the Secretary came to leave Mahadevji outside, he asked him about the incident in the incident. Why were the menstruating hides hidden? The secretary said that they do not face the face of the woman. Upon hearing this reply, Mahadevi ji said, he will not make a person with such a weak mentality as his guru. The soul is neither woman nor man. This way Mahadevi ji came back home.
After this he got many letters. But they did not answer. In this way Mahadevi ji became a Buddhist monk – has continued to grow And in his form, the Hindi world got a great pillar of shadow.
Summarize
We must have faith and reverence for God or Guru. But there should not be any place for superstition. By doing so, you always stay away from the evils of life. And in reality are closer to God.