एक दिन स्वामी परमहंसदेव अपने शिष्यों के साथ टहल रहे थे। उन्होंने देखा कि एक जगह मछुआरे जाल फेंककर मछलियां पकड़ रहे हैं। स्वामी जी एक मछुआरे के पास खड़े हो गए और शिष्यों से बोले, ध्यानपूर्वक इस जाल में फंसी मछलियों की गतिविधियों को देखो।
शिष्यों ने देखा कि कुछ मछलियां ऐसी हैं, जो जाल में निश्चल पड़ी हैं। वे निकलने की कोई कोशिशि भी नहीं कर रही हैं।
जबकि कुछ मछलियां जाल से निकलने की कोशिश करती रहीं, उन्हीं सफलता नहीं मिली और कुछ जाल से मुक्त होकर पुनः जल में क्रीड़ा कर रही हैं।
परमहंसदेव ने शिष्यों से कहा, जिस प्रकार मछलियां तीन प्रकार की होती हैं। उसी प्रकार मनुष्य तीन प्रकार के होते हैं। एक श्रेणी उन मनुष्यों की होती है जिनकी आत्मा ने बंधन स्वीकार कर लिया है और वे इस भव-जाल से निकलने की बात ही नहीं सोचते।
दूसरी श्रेणी ऐसे व्यक्तियों की होती है, जो वीरों की तरह प्रयत्न करते हैं, पर मुक्ति से वंचित रहते हैं और तीसरी श्रेणी उन लोगों की है, जो चरण प्रयत्न द्वारा मुक्ति प्राप्त कर लेता है।
यह सुनने के बाद एक शिष्य बोला, गुरुदेव एक श्रेणी और होती है, जिसके संबंध में आपने नहीं बताया, हां चौथी श्रेणी भी होती है, दरअसल इस श्रेणी के लोग उन मछलियों के समान होते हैं जो जाल के निकट ही नहीं जाते तो उनके फंसने का प्रश्न ही नहीं उठता।
In English
One day Swami Paramahansdev was walking with his disciples. They saw that in one place the fishermen are catching the net and catching fish. Swamiji stood near a fisherman and said to the disciples, Look carefully at the activities of the fish trapped in this trap.
The disciples saw that some fish were such that they were floating in the net. They are not even trying to get out.
While some fish kept trying to get out of the trap, those same successes were not found and some are trapped in the trap and are playing again in the water.
Paramahansdev told the disciples, as the fish are of three types. Similarly, there are three types of man. A category belongs to the people who soul has accepted the bond and they do not think of leaving this trap.
The second category is of such people who try as heroes but are deprived of salvation and the third category belongs to those people, who achieves liberation by phase effort.
After hearing this, a disciple said, Gurudev is a category and, in relation to which you did not tell, yes is also the fourth grade, in fact, people of this category are like those fish who do not go near the trap, The question does not arise.