एक दार्शनिक थे। वह चिंतन में लीन रहते थे। बोलते थे, तो बड़ी गहरी बात कहते थे। इससे लोग उनका बहुत मान-सम्मान किया करते थे। लेकिन कभी-कभी उनकी बातें अजीब-सी होती थीं, और वो स्वयं अपनी ही बातों पर हंसी नहीं रोक पाते थे।
एक दिन लोगों ने देखा कि दार्शनिक महोदय हाथ में जलती लालटेन लए कहीं जा रहे थे। दोपहर का समय था। धूप निकली हुई थी। चारों और प्रकाश फैल रहा था। ऐसे में जलती लालटेन हाथ में लेकर चलने में क्या तुक थी!
उस दृश्य को देखकर लोग मारे हंसी से लोट-पोट हो गए। पर दार्शनिक तो गंभीर भाव से आगे बढ़ते जा रहे थे। एक आदमी से न रहा गया। उसने दार्शनिक से पूछा आप दिन में लालटेन लेकर कहां जा रहे हैं।
दार्शनिक ने उसकी ओर देखा, और बोले, ‘कुछ खो गया है उसे खोज रहा हूं।’ जिज्ञासा में उस आदमी ने पूछा, ‘क्या खो गया है आपका।’ दार्शनिक ने उसी लहजे में कहा कि ‘इंसान’। मैं उसी की तलाश कर रहा हूं।
उस समय तक और भी कई लोग वहां पहुंच गए। दार्शनिक की बात सुनकर एक साथ बोले, ‘महोदय आप यह क्या कह रहे हैं? क्या हम इंसान नहीं हैं? दार्शिनिक बोले, नहीं, ‘आप इंसान नहीं है?
तब लोगों ने कहा, ‘तो हम लोग क्या हैं?’
देखो, दार्शनिक ने कहा, ‘तुममें से कोई व्यापारी है, कोई इंजीनियर, कोई शिक्षक है, कोई भाई। पर अफसोस कि तुममे से कोई भी इंसान नहीं है।’ इंसान तो वह होता है, जो सबको समान समझता है, समको प्यार करता है। जरा अपने दिल को टटोलकर देखो मेरी बात में कितनी सच्चाई है।’
In English
Were a philosopher. He used to be absorbed in contemplation. Used to speak, he used to say very deep things. People used to respect him very much. But sometimes his things were strange, and they themselves could not stop laughing at their own points.
One day people saw that philosopher Sir was going somewhere to get a burning lamp. It was the afternoon time The sun was out The four more light was spreading. In such a way, the burning lamp were in hand to walk!
Seeing that scene, people became laughing at the death. But the philosophers were increasingly moving forward. Not being with a man. He asked the philosopher where are you going with the lanterns during the day.
The philosopher looked at him, and said, ‘I am searching for something lost.’ In the curiosity, the man asked, ‘What is your lost?’ The philosopher said in the same accent that ‘human’ I am looking for that.
Until that time many more people reached there. Listen to the philosopher and say, ‘Sir, what are you saying? Are not we humans? Philosophically, no, ‘You are not human?
Then the people said, ‘So what are we people?’
Look, the philosopher said, ‘one of you is a businessman, an engineer, a teacher, a brother But regret that there is no person from you. ‘ Humans are those, who consider everyone as equal, love everyone. Just look at your heart and see how truth is there in me. ‘