जान विच जान आ जाये तेरा दीदार ऐसा है,
मेरे बाबा तेरे सद के तेरा ये प्यार ऐसा है,
जान विच जान आ जाये तेरा दीदार ऐसा है,
तेरे चेहरे में मुझको तो मेरा घनश्याम दीखता है,
कभी बरमा कभी मेरा शंकर कभी मेरा राम दीखता है,
मेरे सोहने मेरे प्यारे तेरा इजहार ऐसा है,
जान विच जान आ जाये तेरा दीदार ऐसा है,
दान कैसे दिया जाता ये दुनिया को है दिखलाया,
शीश दान दे कर के श्याम नाम वर पाया,
ये दुनिया भी दीवानी है तेरा शृंगार ऐसा है
जान विच जान आ जाये तेरा दीदार ऐसा है,
तेरी आँखों में वो घनश्याम बो घन बन के बरसता है,
कभी सिमटे कभी झलके कभी खुल कर बरसता है,
मेरे दिल के बगीचे का गुलो गुलजार ऐसा है,
जान विच जान आ जाये तेरा दीदार ऐसा है,
निगाहे कर्म से बांटे तेरी तगवीर ऐसी है,
लुटाये नाम की मस्ती तेरी तासीर ऐसी है,
जो चाहा मिल गया हम को तेरा दरबार ऐसा है,
जान विच जान आ जाये तेरा दीदार ऐसा है,
मेरे मालिक तेरे चरणों से हमको दूर न करना,
मुसीबत लाख आ जाए हमे मजबूर न करना,
तेरे मोहन ने आजमाया तेरा उपकार ऐसा है,
जान विच जान आ जाये तेरा दीदार ऐसा है,,,,,,,,,,,,,,,