हाथो में फल फूल नहीं, आँखों में आंसू लाया हूँ जैसा हूँ तेरा हूँ साईं, श्री चरणों में आया हूँ तेरे दर पे आकर साईं खुद पर भरोसा आया है अनहोनी सी बात हुई है, जेसे सब कुछ पाया है, भटक भटक कर हार गया हूँ, कदम कदम ठुकराया हूँ, जैसा हूँ तेरा हूँ साईं श्री चरणों में आया हूँ …
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प्रतिशोध ठीक नहीं होता
बालक पिप्पलाद ने जब होश संभाला, तब औषधियों को अपने अभिभावक के रूप में देखा । वृक्ष फल देते थे, पक्षी दाने लाते थे और मृग हरी वस्तुएं । ओषधियां अपने राजा सोम से मांगकर अमृत की घूंटें पिप्पलाद को पिलाया करती थीं । यह दृश्य देखकर पिप्पलाद ने वृक्षों से पूछा – ‘देखा यह जाता है कि मनुष्य माता …
Read More »भक्तों की तीन श्रेणियां (Three categories of devotees)
भक्तों की तीन श्रेणियां होती हैं । एक तो वे होते हैं जो किसी फल की कामना से भगवान को भजते हैं । भगवान कहते हैं – उनकी भक्ति वास्तविक भक्ति नहीं, वह तो एक प्रकार की स्वार्थपरायणता है । दूसरी श्रेणी के भक्त वे हैं जो बिना किसी फल की इच्छा के अपना सर्वस्व उन्हें समर्पित कर सदा उनकी …
Read More »श्री शबरी जी की भक्ति
सबको परमगति प्रदान करते हुए उदारशिरोमणि भगवान शबरी को भी गति देने के लिए उसके आश्रम में पधारे । ‘आश्रम’ शब्द से शबरी जी का विरक्त होना सूचित किया गया है, क्योंकि वन में बहुत – से कोल – किरात आदि भी निवास करते हैं, परंतु उनके घरों को कभी ‘आश्रम’ नहीं कहा जाता । शबरी जी मन, वचन और …
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