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जय हरिहर

Jai Harihar Bhajan

हरि-हर, शिव-विष्णु एक ही आदिशक्ति के दो स्वरुप, एक पालन करते हैं, दूसरा नवसृजन के पहले विनाश करते हैं। सृष्टि की यही कार्यप्रणाली स्थापित की गई है। एक ही दिव्य ज्योति से दोनो ही प्रकट हुए हैं।
दोनो में न कोई भेद है और न ही कोई अंतर। भगवान विष्णु को भजे बिना शिव प्रसन्न नहीं होते और महादेव के पूजन के बिना हरि को खुश कर पाना संभव नहीं।
दोनो देवताओं की पूजा एक साथ बिहार के सोनपुर स्थित मंदिर में की जाती है। जिसे हरिहर क्षेत्र कहा जाता है। यहीं पर गज-ग्राह का युद्ध हुआ था, जिसमें खुद श्रीहरि को दखल देना पड़ा था..इसी स्थान पर विश्वप्रसिद्ध सोनपुर का पशु मेला लगता है, जिसमें हाथी-घोड़े बिकते हैं।

सुख, शांति, संपन्नता और परमज्ञान के लिए लिखें।

जय हरिहर….


 

hari-har, shiv-vishnu ek hee aadishakti ke do svarup, ek paalan karate hain, doosara navasrjan ke pahale vinaash karate hain. srshti kee yahee kaaryapranaalee sthaapit kee gaee hai. ek hee divy jyoti se dono hee prakat hue hain.
dono mein na koee bhed hai aur na hee koee antar. bhagavaan vishnu ko bhaje bina shiv prasann nahin hote aur mahaadev ke poojan ke bina hari ko khush kar paana sambhav nahin.
dono devataon kee pooja ek saath bihaar ke sonapur sthit mandir mein kee jaatee hai. jise harihar kshetr kaha jaata hai. yaheen par gaj-graah ka yuddh hua tha, jisamen khud shreehari ko dakhal dena pada tha..isee sthaan par vishvaprasiddh sonapur ka pashu mela lagata hai, jisamen haathee-ghode bikate hain.

sukh, shaanti, sampannata aur paramagyaan ke lie likhen.

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