दोस्तों हीरा नाम का एक लड़का था, जो किसी सेट के यहां काम करता था। एक दिन उसने अपने सेट से कहा की सेट जी में आपका 24 घंटो के लिए नौकर हु, और मुनीम तो सिर्फ एक दो घंटो के लिए आकर आपसे एक दो घंटो की इधर उधर की बातें करके चला जाता है, और फिर भी मेरा वेतन केवल 500 रुपए है, और मुनीम का 5000 रुपए है। ऊपर से मुनीम के लिए सुविधाएं भी ज्यादा दी हुई है।
ऐसा क्यों?
सेट ने हीरा से कहा की “हीरा तुझमें और मुनीम में क्या फर्क है? ये जानना चाहता है ना तो तुम घोगाबंदर पर जाओ और वहा पर अपना कौन सा स्टीमर आया हुआ है, उसकी जाज करके वापस आ जाना। उसके बाद वो नौकर घोगाबंदर गया और रात्रि को लौटा।
और वापस लौट ने के बाद सेट जी से कहा की सेट जी वहा अपना एक स्टीमर आया हुआ है। फिर सेट जी ने पूछा की उसमे क्या आया है? हीरा ने कहा की उसमे क्या आया हुआ है, यह तो मुझे पता नहीं है। उसके बाद हीरा फिर से दूसरे दिन घोगाबंदर गया और सामान का पता करके आया।
और फिर अपने सेट जी से कहा कि बादाम और काली मिर्च आई हुई है। फिर सेट ने पूछा की और क्या क्या आया हुआ है? उसके बाद हीरा फिर पूछने गया और फिर आकर सेट जी से बोला कि लौंग भी आई हुई है। फिर सेट ने हीरा से पूछा की ये किसने बताया?
हिरा ने बोला की एक आदमी ने बोला की लौंग भी आई हुई है। फिर सेट ने हीरा से पूछा की अच्छा, वो आदमी कौन था? जबाबदार मुख्य आदमी था या साधारण आदमी था? फिर हीरा ने कहा की ये तो मुझे पता नही है।
फिर सेट ने पूछा की जाओ और मुख्य आदमी से पूछो कि कौन कौन सी चीजे आई हुई है और कितनी कितनी आई हुई है? हिरा फिर से गया और सामान एवम उसकी मात्रा लेकर सेट के पास वापस आया।
फिर उसके बाद सेट ने हीरा से पूछा की ये सभी चीजे किस भाव में बाजार में आई हुई है और इस समय बाजार में क्या भाव चल रहा है? क्या तुन्हे ये पूछा? फिर हीरा ने कहा की ये तो मैने पूछा ही नही। फिर सेट ने हीरा से कहा की “अरे मूर्ख ऐसा करते करते तो महीना बीत जायेगा।”
फिर उसके बाद सेट ने अपने एकाउटेंट मुनीम को बुलाया और उससे कहा की घोगाबंदर जाकर आओ। फिर मुनीम दो घंटो के अंदर घोगाबंदर जाकर वापस लौट आया, और अपने सेट जी से बोला की ‘सेट जी इतनी क्वांटिटी में बादाम आया हुआ है, और इतनी क्वांटिटी में काली मिर्च आई हुई है और इतनी क्वांटिटी में लौंग भी आई हुई है।
सेट जी हमारा स्टीमर बहुत ही जल्दी आया हुआ है और दूसरे स्टीमर एक दो दिन के बाद आयेंगे, तो बाजार भाव में मंदी आ जायेगी। अभी बाजार में माल की कमी है और अतः अगर हम अपना माल खींचकर चुपके से बेच देंगे तो हमे बहुत लाभ होंगा।
आपके यहां पर आने जाने में बहुत देर हो जाती हैं, इसीलिए में आपसे पूछने नही आया और माल को बेच दिया। अच्छे पैसे भी मिले हुए हैं और ये रहा 2 लाख का चेक… फिर उसके बाद सेट ने हीरा से कहा की
देख लिया फर्क , अगर तू सिर्फ चक्कर काटता रहता और अगर 2 – 4 दिन विलंब होता तो मुझे 5 लाख का नुकसान होता। और इस मुनीम ने 5 लाख के घाटे को रोककर 2 लाख का नफा करके आया हुआ है। इसको में 5000 रुपए देता हूं तो भी सस्ता है और तुझे 500 रुपए देता हु तो भी मेंहंगा है। मूर्ख तुझ में इतनी जिज्ञासा नही है!!!
दोस्तो हमे यह सीखने को मिलता है की “बिना जिज्ञासा का मनुष्य आलसी और प्रमादि हो जाता है, और तुच्छ रह जाता है। जब की जिज्ञासु मनुष्य हर कार्य में तत्पर और कर्मठ होता है। जिसके अंदर जिज्ञासा है, वो इंसान छोटी छोटी बातों में भी रहस्य खोज लेगा।
और जिसके जीवन ने जिज्ञासा नही है, वो इंसान रहस्य को देखते हुए भी उसे अनदेखा कर देगा। जिज्ञासु की दृष्टि सूक्ष्म होती है और वो हर घटना को बारीकी से देखता और खोजता है। और खोजते खोजते रहस्य को भी प्राप्त कर लेता है।
अगर किसी क्लास में 50 विद्यार्थी पढ़ते हैं, जिसमे सब के एक ही शिक्षक होते हैं, और पाठ्य पुस्तकें भी एक जैसे ही होते हैं, लेकिन जो स्टूडेंट्स शिक्षको की बातों को ध्यान से सुनते हैं और जिज्ञासा करके प्रश्न पूछते हैं, वे ही विद्यार्थी माता पिता एवम स्कूल का नाम रोशन करते हैं।
और जो विद्यार्थी पढ़ते समय ध्यान नहीं देते हैं और सुना अनसुना करते हैं, वे विद्यार्थी थोड़े से ही अंक प्राप्त करके अपने जीवन की गाड़ी को बोझिली बनाकर घसीटते रहते हैं, एवम बड़े होकर किस कौने में मर जाते है, कुछ पता नहीं चलता।
सीलिए जिज्ञासु बनो और जब शिक्षक आपको पढ़ाते हो तो उस समय ध्यान देकर पढ़ा करो। यदि समझ में नहीं आए, तो अपने आप समझने की कोशिश करो, और जब अपने आप उत्तर ना मिले तो शिक्षक या अपने साथी से पूछ लो। और ऐसा करके अपने जिज्ञासा को बढ़ाओ।
दोस्तो जिसके जीवन में जिज्ञासा नही है, उसको अगर ब्रह्मा जी भी उपदेश करे, तो भी क्या होंगा? जो व्यक्ति जितने अंश में जिज्ञासु और तत्पर होंगा, वो व्यक्ति उतने ही अंश में सफल होंगा।