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कभी फुरसत हो तो सांवरिया निर्धन के घर भी आ जाना


कभी फुरसत हो तो सांवरिया निर्धन के घर भी आ जाना
जो अपना समझ के दिया हमें कभी उसका भोग लगा जाना

सुनले मेरे श्याम तू ………..

सबकी सुनता सांवरिया कब मेरी सुनने आएगा
ना अपना कोई इस जग में मेरा कब आके गले लगाएगा
किस्मत ने सहारा छोड़ दिया तू आके लाज बचा जाना
जो अपना समझ के दिया हमें कभी उसका भोग लगा जाना

आजा रे आजा रे मेरे सांवरे आजा रे ………..

मैं निर्धन हूँ मेरे पास प्रभु लड्डू मेवा ना मिठाई है
सोने के सिंगसन हैं तेरे मेरे घर धरती की चटाई है
तू आके डेजा सहारा मुझे इस दुनिया को दिखला जाना
जो अपना समझ के दिया हमें कभी उसका भोग लगा जाना

मैं दुःख मारा मेरे सांवरे …………

उमेश को दुःख ने घेर लिया अपनों ने मुंह भी फेर लिया
इस भगत ने रखी आस यही इस आस पे दौड़े आ जाना
जो अपना समझ के दिया हमें कभी उसका भोग लगा जाना
कभी फुरसत हो तो सांवरिया …………….

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