एक दिन एक खरगोश जंगल में कुलाँचे भर-भरकर दौड़ रहा था। अचानक उसने देखा कि एक लोमड़ी उसकी तरफ आ रही है। यह देख खरगोश घबराकर तेजी से भागने लगा।
लोमड़ी को लगा कि वह खरगोश को पकड पाने में असमर्थ रहेगी। इसलिए उसने एक योजना बनाई। वह बोली, “मेरे प्यारे दोस्त, तुम्हें मुझसे डरने की कोई जरूरत नहीं है।
मैं तुम्हें कोई नुकसान नहीं पहुँचाऊँगी। मैं तो सिर्फ तुम्हारी दोस्त बनना चाहती हूँ।” खरगोश लोमड़ी के शब्दजाल में फंस गया। वे दोनों दोस्त बन गए।
फिर एक दिन लोमड़ी ने खरगोश को अपने घर भोजन पर आमंत्रित किया। खरगोश खुशी-खुशी लोमड़ी के घर गया। लोमड़ी ने उसे पीने के लिए मूली के जूस का एक कटोरा दिया।
मूली का जूस पीने के बाद खरगोश बोला, “दोस्त, तुमने भोजन में क्या बनाया है?” लोमड़ी मुस्कराते हुए बोली, “आज तो मेरे पास कच्चा भोजन है।
उसे ही खाकर अपनी खूब मिटाऊँगी।” इतना कहकर लोमड़ी खरगोश पर झपटी और उसे मारकर खा गई।