कलावा बांधने का अभ्यास हिन्दू धर्म में एक धार्मिक और सांस्कृतिक परंपरा है। कलावा, जिसे मौली या रक्षा सूत्र भी कहा जाता है, एक पवित्र धागा है जो आमतौर पर लाल और पीले रंग का होता है, हालांकि कभी-कभी इसमें अन्य रंग भी हो सकते हैं। इसे विशेष रूप से हिन्दू रीति-रिवाजों और पूजा के दौरान व्यक्तियों की कलाई पर बांधा जाता है।
कलावा बांधने का महत्व निम्नलिखित है:
- सुरक्षा: कलावा को धारण करने वाले व्यक्ति की रक्षा करने और नकारात्मक शक्तियों से उसे बचाने के लिए माना जाता है। यह एक प्रकार का रक्षा कवच माना जाता है।
- शुभता और समृद्धि: यह मान्यता है कि कलावा पहनने से व्यक्ति के जीवन में शुभता और समृद्धि आती है।
- स्वास्थ्य लाभ: कुछ लोग इसे स्वास्थ्य लाभ से भी जोड़ते हैं, जैसे कि रक्तचाप में संतुलन और शारीरिक संतुलन में सुधार।
- धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व: कलावा बांधने की प्रक्रिया को देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त करने और आध्यात्मिक सुरक्षा पाने का एक माध्यम माना जाता है।
- समर्पण और विश्वास: यह व्यक्ति के धार्मिक विश्वास और समर्पण का प्रतीक भी होता है, और इसे पहनने वाला व्यक्ति अपनी धार्मिकता और आस्था का प्रदर्शन करता है।
कलावा बांधने की प्रक्रिया में, पुजारी या एक धार्मिक व्यक्ति इसे पूजा के दौरान मंत्रों का उच्चारण करते हुए व्यक्ति की दाहिनी कलाई पर बांधता है। इस प्रक्रिया को बहुत से हिन्दू त्योहारों और पूजा अनुष्ठानों में अपनाया जाता है।
सनातन धर्म में किसी भी शुभ कार्य या पूजा के समय कलावा बांधने का विशेष महत्व होता है l कोई पूजा-अनुष्ठान सबसे पहले हाथ पर कलावा बांधने से ही शुरू होता है l लेकिन आज हम जानेंगे कि आखिर कलावा हाथ पर क्यों बांधा जाता है? मौली यानी कलावा का शाब्दिक अर्थ होता है सबसे ऊपर और इसे कलाई पर बांधने की वजह से कलावा भी कहा जाता है l कहते हैं कि मौली का वैदिक नाम उप मणिबंध है l. इसका तात्पर्य सिर से भी होता है l भगवान शिव के सिर पर चंद्रमा सुसज्जित है.इसलिए उन्हें चंद्रमौली भी कहा जाता है l मौली या कलावे को मुख्यत तीन रंगों के कच्चे सूती धागे से बनाया जाता है l जिनमें लाल, पीला और हरा रंग शामिल है l तीन धागों से अभिप्राय त्रिदेव है l कहा जाता है कि हाथ में मौली या कलावा बांधने से त्रिदेव- ब्रह्मा, विष्णु और महेश और तीनो देवियों- लक्ष्मी, गौरी और सरस्वती की कृपा प्राप्त होती है l कलावे को रक्षासूत्र के रूप में हाथ पर बांधा जाता है l कहते हैं कि,,,,,,,,,,
प्राचीन समय में वृत्रासुर नामक एक राक्षस हुआ करता था. जिसके आतंक से पृथ्वी को मुक्ति दिलाने के लिए देवताओं ने उससे युद्ध किया था और जब देवराज इंद्र इस राक्षस से युद्ध के लिए जा रहे थे तो उनकी पत्नी इन्द्राणी ने उनकी दाहिनी भुजा पर कलावा ( रक्षासूत्र ) बांधकर त्रिदेवों और मां आदिशक्ति से उनकी रक्षा की प्रार्थना की थी l जिसके बाद इंद्र वृत्रासुर को मारकर विजयी हुए तभी से कलावा बांधने की परंपरा चली आ रही है l
शास्त्रों के नियमों के अनुसार पुरुष और अविवाहित स्त्री दाएं हाथ में और विवाहित स्त्री बाएं हाथ में कलावा बंधवाती हैं l
जब भी कोई पंडित या शास्त्री आपके हाथ में कलावा बांधें तो उस हाथ की मुट्ठी बंद और दूसरा हाथ हमेशा सिर के पीछे होना चाहिए l
कलावे को हमेशा पांच या सात बार घुमाकर हाथ में बांधना चाहिए l
वहीं अगर आपके हाथ में बंधा कलावा पुराना हो गया है और आप इसे उतारना चाहते हैं तो ध्यान रहे कि पुराने कलावे को हमेशा मंगलवार या शनिवार के दिन ही हाथ से उतारें और इसे उतारकर फेंकना नहीं चाहिए बल्कि इसे आप पीपल के पेड़ के नीचे रख दें l
कलावा बांधने का क्या महत्व है?
ऐसा माना गया है कि कलावा बांधने से ब्रह्मा और विष्णु की रक्षा प्राप्त होती है। इसलिए कलावा को रक्षा सूत्र भी कहा जाता है। धार्मिक शास्त्रों के अनुसार, कलावा बांधने से ब्रह्मा, विष्णु और महेश का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
कलावा कितनी बार लपेटना चाहिए?
कलावा को अपने हाथ में 3, 5 या फिर 7 बार लपेटना अधिक शुभ फलदायी माना जाता है.. Kalawa Rules: हिन्दू धर्म में पूजा-पाठ या फिर मांगलिक कार्य में कलावा का प्रयोग जरूर किया जाता है. कलावा बांधने का धार्मिक ही नहीं वैज्ञानिक कारण भी है.
कलावा क्यों माना जाता है?
किसी भी शुभ कार्य या पूजा पाठ के प्रारंभ में तिलक के साथ मौली या कलावा बांधा जाता है. यह परंपरा ऋषि मुनियों के काल से चली आ रही है. धार्मिक शास्त्रों में कलावा का विशेष महत्व बताया गया है. मौली या कलावा भगवान के आशीर्वाद का प्रतीक माना जाता है.
पुरुषों को कलावा कौन से हाथ में बांधना चाहिए?
शास्त्रों में यह भी बताया गया है कि किस हाथ में कलावा बांधना शुभ होता है। पुरुषों और कुंवारी लड़कियों को दाहिने हाथ में कलावा बांधना चाहिए। वहीं, विवाहित महिलाओं का बांए हाथ में कलावा बांधना शुभ माना जाता है।
रक्षा सूत्र कैसे बांधे?
शास्त्रों के अनुसार पुरुषों एवं अविवाहित कन्याओं को दाएं हाथ में कलावा बांधना चाहिए। विवाहित स्त्रियों के लिए बाएं हाथ में कलावा बांधने का नियम है। *कलावा बंधवाते समय जिस हाथ में कलावा बंधवा रहे हों, उसकी मुट्ठी बंधी होनी चाहिए और दूसरा हाथ सिर पर होना चाहिए।