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पतंग और डोरी !!

एक बार एक व्यक्ति अपने बेटे के साथ पतंग उत्सव में गया. वहाँ लोग रंग-बिरंगी पतंगें उड़ा रहे थे. आसमान में उड़ती रंग-बिरंगी पतंगों को देख बेटा भी पतंग उड़ाने मचल उठा.

उसने अपने पिता से कहा, “पापा, मैं भी पतंग उड़ाना चाहता हूँ. प्लीज मेरे लिए एक पतंग ख़रीद दीजिये.”

बेटे की इच्छा पूरी करने पिता पास ही की एक दुकान में गया. वहाँ से एक सुंदर सी पतंग और डोरी वह अपने बेटे के लिए ख़रीद लाया. बेटा पतंग पाकर ख़ुशी से झूम उठा.  

कुछ देर बाद वह भी डोर थामे पतंग उड़ा रहा था. उसकी पतंग ऊँचे आसमान में उड़ रही थी. लेकिन वह ख़ुश नहीं था. वह चाहता था कि उसकी पतंग और ऊँची उड़े. वह पिता से बोला, “पापा, ऐसा लग रहा है कि डोर की वजह से पतंग ऊँची नहीं उड़ पा रही है. क्यों न इसकी डोर काट दी जाये? इससे पतंग आज़ाद होकर और भी ऊँची उड़ने लगेगी. प्लीज, आप इसकी डोर काट दो.”

बेटे की बात मानकर पिता ने पतंग की डोर काट दी. डोर काटते ही पतंग ऊपर जाने लगी. यह देख बेटा बहुत ख़ुश हुआ.

लेकिन कुछ देर बाद पतंग ऊपर जाने के बजाय नीचे आने लगी और एक मकान की छत पर जा गिरी. बेटा यह देख हैरत में पड़ गया. उसने यह सोचकर पतंग की डोर काटी थी कि पतंग आसमान में और ऊँचा उड़ने लगेगी. लेकिन वह तो नीचे गिर पड़ी.

उसने पिता से पूछा, “पापा, ये क्या हुआ? पतंग आसमान में और ऊँची जाने के बजाय नीचे क्यों गिर पड़ी?”

पिता बोला, “बेटा! तुम्हें लग रहा था कि डोर पतंग को ऊँचा उड़ने से रोक रही है. जबकि वास्तव में ऐसा नहीं था. डोर तो पतंग का सहारा थी. हवा की गति अनुसार तुम डोर खींचकर या उसे ढील देकर पतंग को ऊँचा उड़ने में मदद कर रहे थे. लेकिन जब डोरी रुपी सहारा कट गया, तो पतंग को मदद मिलनी बंद हो गई और वह नीचे गिर पड़ी. ऐसा जीवन में भी होता है. जीवन की ऊँचाईयों पर पहुँचकर हमें लगने लगता है कि परिवार, रिश्ते और दोस्त हमें बांध रहे हैं और सफ़लता के शिखर पर पहुँचने से रोक रहे हैं. लेकिन हम भूल जाते हैं कि वे हमें ऊँचाइयों पर ले जाने वाली डोर है. उनके नैतिक बल के बिना सफ़लता की उड़ान मुश्किल है.”

बेटे को अपनी गलती समझ आ गई.

सीख – कई बार हम सोचते हैं कि हम अपने जीवन में जल्दी प्रगति कर लेंगे या जीवन की नई ऊंचाइयों को पा लेंगे, यदि हम अपने घर और परिवार के बंधनों से मुक्त हो जायेंगे. लेकिन हम भूल जाते हैं कि हमारा परिवार और प्रियजन हमें जीने में और जीवन में आगे बढ़ने में मदद करते हैं. बुरे समय में परिवार और प्रियजन हमारा सहारा बनते हैं और हमें प्रेरित करते हैं. वे हमें बंधनों में नहीं जकड़ते, बल्कि सहारा देते हैं. इसलिए उन्हें कभी भी खुद से दूर मत करो ||

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