वैशाख की पूरे चाँद की रात थी जब बोध गया में एक पेड़ के नीचे ध्यान लगा के बैठे सिद्धार्थ ने परम को जाना। महज़ 35 साल की उम्र में वे बुद्ध बन गए। यह घटना ईसा के 528 साल पहले की बताई जाती है। महात्मा बुद्ध ने ज्ञान प्राप्ति के बाद 4 सप्ताह तक बोधिवृक्ष (जिस वृक्ष के नीचे उन्हें ज्ञान प्राप्त हुआ) के नीचे बैठकर धर्म के स्वरूप पर चिंतन किया। इसके बाद वे धर्म का उपदेश देने निकल पड़े। आषाढ़ की पूर्णिमा आते-आते भगवान बुद्ध काशी के पास मृगदाव (अब सारनाथ) पहुंचे। यही वो जगह थी जहाँ उन्होंने पहला धर्मोपदेश दिया। बताया कि खुद को भूखा रखकर, अपने शरीर को कष्ट देकर प्रभु नहीं मिल सकते। बुद्ध मानते थे कि संसारी सुखों से दूर भागकर परम नहीं मिल सकता। इंसान को अपने मन पर इतना काबू होना चाहिए कि वो संसार के बीच रहकर भी उससे अछूता रह सके। यही सच्चा योग है। 80 साल की उम्र तक बुद्ध जगह-जगह घूमकर लोगों को समझाते रहे, जगाते रहे। बुद्ध ने सबसे गूढ़ सच को इतनी सरलता से पेश किया कि हर धर्म और सम्प्रदाय के लोग उनसे जुड़ने लगे। बुद्ध के सन्देश, बौद्ध धर्म बन गए। इस वक्त दुनिया में लगभग 50 करोड़ लोग बौद्ध हैं।
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