अबू उसमान हैरी नाम के एक प्रसिद्ध संत थे। वह अरब देश के खुरासान में वह रहते थे। दूर-दूर तक उनका नाम था। लोग बड़ी श्रद्धा से उनके पास आते थे और उनके सात्विक उपदेशों से लाभ उठाते थे।
एक बार एक आदमी हज करने के विचार से घर से निकला। रास्ते में अबू उसमान हैरी की जगह पड़ती थी। उसने सोचा कि थोड़ा रुककर संत के दर्शन कर लेता हूं। यह सोचकर वह उनके निवास पर पहुंचा और उनको सलाम किया, लेकिन संत ने उसके सलाम का जबाव नहीं दिया।
इस बात से वह आदमी दुःखी हो गया। वह कितनी श्रद्धा से उनके पास आया था और उन्होंने उसका अभिवादन भी स्वीकार नहीं किया। यह सोचकर वह हैरान था। तब संत ने कहा मां को नाराज करके हज करना अच्छा नहीं।
अब उसे ध्यान आया कि उसकी मां को उसकी जरूरत थी और वह उसे रोकती रही थी। जब वह नहीं माना तो वह नाराज हो गई। उसकी नाराजगी की चिंता किए बगैर वह हज करने निकल चला आया। संत की बात सुनकर वह उल्टे पैर घर लौट आया और मां की सेवा अंतिम समय तक करता रहा।
मां का देहांत हो जाने के बाद जब वह उन संत के पास पहुंचा, तो उन्होंने बड़े प्यार से उसका स्वागत किया और उसे अपना आशीर्वाद दिया और कहा कि दुनिया में सबसे बड़ी सेवा अपने माता-पिता की सेवा करना ही है।
In English
Abu Osman was a famous saint named Harry. He lived in the Khurasan of the Arab country. His name was far and wide. People came to him with great reverence and used to benefit from their sattvic teachings.
Once a man came out of the house with the thought of hajj. On the way, Abu Osman would have been replaced by Harry. He thought that I stopped a little and saw the Saint. By thinking of this, he reached his residence and greeted them, but the saint did not respond to his salute.
This man became sad by this matter. He came to them with so much the biggest service in the world is to serve his parents and he did not accept his greetings too. He was surprised to think that. Then the saint said it is not good to hate the mother by hating.
Now she came to notice that her mother needed her and she was keeping her in check. When he did not listen then he became angry. Without worrying about his displeasure, he came out to perform Hajj. Upon listening to the saint, he returned home in the opposite foot and served his mother till the last time.
After the mother died, when she reached the saint, she welcomed him with great love and gave him his blessings and said that the biggest service in the world is to serve his parents.