कृष्ण है विस्तार यदि तो,
सार है राधा,
कृष्ण की हर बात का,
आधार है राधा,
राधा बिना कृष्ण नहीं,
कृष्ण बिना नहीं राधा,
जिस कण में राधा बसी,
उस कण में बसे हैं कृष्ण सदा से,
राधा राधा राधा राधा,
कृष्ण कृष्ण कृष्ण,
राधाकृष्ण, राधाकृष्ण,
राधाकृष्ण कृष्ण कृष्ण,
राधाकृष्ण, राधाकृष्ण,
राधाकृष्ण कृष्ण कृष्ण।।
कृष्ण है वंशी तो,
राधा तान मतवारी,
कृष्ण है सृष्टा तो,
राधा सृष्टि है सारी,
कृष्ण बिना राधा का,
होना कहां संभव है,
कृष्ण यदि परमानंद,
तो राधा उत्सव है,
सदा से…..
राधा राधा राधा राधा,
कृष्ण कृष्ण कृष्ण….
शब्द है कृष्णा तो,
उसका अर्थ है राधा,
कृष्ण की शक्ति है,
और समर्थ है राधा,
कण कण में है राधे,
कण कण में कृष्णा है,
ये ही परम तृप्ति है,
बाकी सब तृष्णा है,
जगत में….
राधा राधा राधा राधा,
कृष्ण कृष्ण कृष्ण….
कृष्ण के हर रोम में है,
राधिका प्यारी,
राधा के तन मन में,
बसते कृष्ण बनवारी,
राधा के अधरों पर,
कृष्ण का है नाम सदा,
इक दुजे में दोनों,
पाते है विश्राम सदा,
युगों से…..
राधा राधा राधा राधा,
कृष्ण कृष्ण कृष्ण….
राधाकृष्ण, राधाकृष्ण,
राधाकृष्ण कृष्ण कृष्ण,
राधाकृष्ण, राधाकृष्ण,
राधाकृष्ण कृष्ण कृष्ण।।
राधा राधा राधा राधा,
कृष्ण कृष्ण कृष्ण,
राधाकृष्ण, राधाकृष्ण,
राधाकृष्ण कृष्ण कृष्ण,
राधाकृष्ण, राधाकृष्ण,
राधाकृष्ण कृष्ण कृष्ण…………….