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कृष्ण तुम्हारे ध्यान में आठो पेहर रहा करू

कृष्ण तुम्हारे ध्यान में आठो पेहर रहा करू
हर दम तुम्हारे ज्ञान के सागर में ही बहा करू

वाणी तुम्हारी हो मधुर मुरली के मीठे मीठे स्वर,
जादू का जिस में हो असर बंसी वही सूना करू
कृष्ण तुम्हारे ध्यान में आठो पेहर रहा करू

मोर मुकट हो पीत पथ कुंडल हो कानो में पड़े,
दर्शन मुझे दिया करो विनती जब मैं किया करू
कृष्ण तुम्हारे ध्यान में आठो पेहर रहा करू

रटना लगी है श्याम अब मुझको तुम्हारे दर्श की,
पडती नही जरा भी कल तुम ही तो हो मैं क्या करू
कृष्ण तुम्हारे ध्यान में आठो पेहर रहा करू……………,


बाँध के पटके जय माँ की रटके उचे पर्वत चड बेखट के
चलो भगतो ज्योता वाली के द्वारे
जय ज्वाला माँ तेरी जय ज्वाला माँ

महासती की जगजनी माँ की पावन जीबा गिरी याहा,
संकट हरनी जवाला माँ का अध्बुत मंदिर है वाहा,
उसकी करुना की गंगा में दुभ्की जो भी लगाते है
काले कर्मो के कागा भी हंस वाहा बन जाते है
हर निर्बल को बल है देती प्यासी रूह को जल है देती
चलो भगतो चलो भगतो ज्योता वाली के द्वारे

बड़ी दयालु माहा किरपालु कुल दुनिया की पालक माँ
अन्धो को वो नैन है देती बांजो को दे बालक माँ
उसकी ममता की रसवंती बारिश जिन पर होती है
आँख जपक ते वो कंकर तो बन ही जाते मोती है
जय माता की बोल के मन से केहते जाओ तुम कण कण से
चलो भगतो चलो भगतो ज्योता वाली के द्वारे

सीधी का रख कष्ट निवारक जग जगनी का जाप है
सो जन्मो का दो गाडियों में मिटता सुख संताप है
बिन मांगे ही वाह पे सभ्की झोलियाँ भर जाती है
श्रधा वालियों की वाहा पे नोकाए तर जाती है
भटके हुयो को राह दिखाती निर्धन को धनवान बनाती
चलो भगतो चलो भगतो ज्योता वाली के द्वारे…………

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