इस विषय को समझते वक़्त सभी साधना, कुण्डलिनी, श्रीविद्या, दसमहाविद्या जो भी साधना आप कर रहे हो, सब एक बाजू रखें । क्योंकि कुलदेवी की कृपा का अर्थ है, सौ सुनार की एक लोहार की, बिना कृपा से किसीके कुल का वंश ही क्या कोई नाम कुछ भी आगे बढ नहीं सकता ।
लोग भावुक होकर अथवा आकर्षित होकर कई साधनाए तो करते हैं, पर वो जानते नहीं की जब आप अपनी कुलदेवी को पुकारे बिना किसी भी देवी देवता की साधना करते हो, वो साधना कभी यशस्वी नहीं होती; उलटा कुलदेवी का प्रकोप अथवा रुष्टता और ज्यादा बढ़ती हैं ।
कई जगहों पर आज भी कुछ परंपरा हैं, घर के पूजा घर में कुलदेवी के रूप में सुपारी अथवा प्रतिमा का पूजन करना, घर से बहार लंबी यात्रा हो तो कुलदेवी को पहले कहना, साल में दो बार कुलदेवी पर लघुरूद्र अथवा नवचंडी करना यह सब आज भी हैं ।
हर घर की एक कुलदेवी रहती हैं । आज भारत में ७०% परिवार अपने कुलदेवी को नहीं जानते । कुछ परिवार बहुत पीढ़ियों से कुलदेवी का नाम तक नहीं जानते । इसके कारण, एक अनिष्ट शक्ति उस घर के कुल के ऊपर बन जाती हैं और अनुवांशिक समस्या पैदा होती हैं । कुलदेवी की कृपा के बिना अनुवांशिक बीमारी पीढ़ी में आती है, एक ही बीमारी के लक्षण सभी लोगो को दिखते हैं !
मनासिक विकृतियाँ अथवा तनाव पूरे परिवार में आना ! कुछ परिवार एय्याशी की ओर इतने जाते है कि सबकुछ गवा देते हैं ! बच्चे भी गलत मार्ग पर भटक जाते हैं ! शिक्षा में अड़चनें आती है ! किसी परिवार में सभी बच्चे अच्छे पढ़ते हैं फिर भी नौकरी या व्यापार में लाभ नहीं मिलता ! कभी तो किसीके पास पैसा बहुत होता है पर मानसिक समाधान नहीं होता ! यात्राओं में अपघात होते है अथवा अधूरी यात्रा होती हैं ! व्यवसाय में भी ग्राहक पर प्रभाव नहीं बनता अथवा आवश्यक स्थिरता नहीं आती । विदेशों में बहुत भारतीय बसे है, उनके पास पैसा होकर भी एक असमाधानी वृत्ति अथवा कोई न कोई अड़चन आती है, इतने लंबा सफर से भारत में कुलदेवी के दर्शन के लिए नहीं आ सकते । यह सब परेशानी हम देख रहे हैं ।
मित्रों , यह सब परेशानी आप किसी हीलिंग अथवा किसी ध्यान अथवा किसी दसमहाविद्या के मंत्रो से दूर नहीं कर सकते । बल्कि, अगर और अंदर कहूँ तो कोई भी दसमहाविद्या की दीक्षा में सबसे पहले गुरु उस साधक की कुलदेवी का जागरण करवाने की दीक्षा अथवा साधन पहले देता हैं ।
आजकल ये महाविद्याओं की साधनाओ में कोई करता नहीं सभी सीधा मंत्र देते है, बाद उसका फल यह मिलता है कि वो साधक ऐसे जगह पर फेक दिया जाता है, जहाँ से वो कभी उठ ही न पाए । आजकल बड़ी बड़ी शिविरों में हम यही माहौल देखते हैं । इसलिए, कोई भी महाविद्या के प्रति आकर्षित होने से पहले अपने कुलदेवी को पुकारो । अगर आज नहीं तो कल की पीढ़ी के लिए बहुत दिक्कतें होगी ।
कईयों हर कहीं माथा रगड़ने जाते ! साल में एक दो बार दर्शन के लिए, इससे कुलदेवी प्रसन्न नहीं होती । बल्कि वो शक्तियाँ भी आपको यही कहेंगी की पहले अपने माँ बाप को याद करो फिर मेरे पास आओ। कुलदेवी के रोष में कई संस्थान, राजवाड़े, महाराजे खत्म हुए । कई परिवार के वंश नष्ट हुए । इसलिए कुलदेवी का पूजन पहले करों ।
English Translation
While understanding this subject, keep all the sadhana, Kundalini, Srividya, Dasmahavidya, whatever sadhna you are doing, keep all at one side. Because the blessings of the Kuldevi mean, that of a blacksmith to a hundred goldsmiths, without the grace of one’s clan, no name can move forward.
People do many sadhnas by getting emotional or attracted, but they do not know that when you do sadhna of any deity without calling your Kuldevi, that sadhna is never successful; On the contrary, the wrath or anger of the Kuldevi increases further.
There are some traditions in many places even today, worshiping the betel nut or idol in the form of Kuldevi in the house of worship, if there is a long journey outside the house, then ask the Kuldevi first, do Laghurudra or Navchandi on the Kuldevi twice a year, all this today. are also.
Every house has a Kuldevi. Today 70% of the families in India do not know their Kuldevi. Some families do not even know the name of Kuldevi for many generations. Due to this, a negative energy builds up on the family of that house and genetic problems arise. Without the grace of Kuldevi, the genetic disease comes in the generation, the symptoms of the same disease are visible to all the people.
Mental disorders or stress come in the whole family! Some families go so much towards debauchery that they lose everything! Even children go astray on the wrong path. There are obstacles in education. In a family, all the children study well, yet they do not get profit in job or business. Sometimes someone has a lot of money but there is no mental solution. Accidents happen in journeys or incomplete journeys! In business also, the customer is not affected or the required stability does not come. Many Indians are settled in foreign countries, even after having money, they have an insolent attitude or some kind of obstacle, they cannot come to India for the darshan of Kuldevi from such a long journey. We are seeing all this trouble.
Friends, you cannot get rid of all these problems with any healing or any meditation or mantras of any Dasmahavidya. Rather, if I say more inside, first of all in the initiation of any Dasmahavidya, the Guru first gives initiation or means to awaken the Kuldevi of that seeker.
Nowadays no one does this in the sadhnas of Mahavidyas, everyone gives direct mantras, after that the result is that the seeker is thrown at such a place, from where he can never get up. This is the atmosphere we see in big camps these days. Therefore, before anyone is attracted to Mahavidya, call upon your Kuldevi. If not today, there will be many problems for tomorrow’s generation.
Many go everywhere to rub their heads! For darshan once or twice a year, this does not please the Kuldevi. Rather, those powers will also tell you that first remember your parents and then come to me. Many institutions, rajwadas, maharajas were destroyed in the anger of Kuldevi. Many family lineages were destroyed. Therefore worship the Kuldevi first.
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