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कूटने की परंपरा

कल एक बुजुर्ग को एक आदमी बोला कि पहले इतने लोग बीमार नहीं होते थे जितने आज हो रहे हैं।

तो बुजुर्ग ने अपने तजुर्बे से उसको बोला कि भाईजी पहले कूटने की परंपरा थी जिससे इम्यूनिटी पावर मजबूत रहता था पहले हम हर चीज को कुटते थे।

जबसे हमने कूटना छोड़ा है तब से हम सब बीमार होने लग गए।

जैसे पहले खेत से अनाज को कूट कर घर लाते थे।

घर में मिर्च मसाला कूटते थे।

कभी-कभी तो बड़ा भाई भी छोटे को कूट देता था और जब छोटा भाई उसकी शिकायत मां से करता था तो मां बड़े भाई को कूट देती थी

और कभी तो दादाजी भी पोते को कूट देते थे

यानी कुल मिलाकर दिन भर कुटने का काम चलता रहता था।

कभी मां बाजरा कूट कर शाम को खिचड़ी बनाती,

पहले हम कपड़े भी कूट कर धोते थे

स्कूल में मास्टरजी भी कूटते थे

जहां देखो वहां पर कुटने का काम चलता रहता था तो बीमारी नजदीक नहीं आती थी

सबका इमुनिटी पावर मजबूत रहता था।जब कभी बच्चा सर्दी में नहाने से मना करता था तो मां पहले कूट कर उसकी इमुनिटी पावर बढ़ाती थी और फिर नहलाती थी👌 वर्तमान समय में इम्यूनिटी पावर बढ़ाने के लिए कूटने की परंपरा फिर से चालू होनी चाहिए।😝

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