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क्यों चढ़ाया जाता है भगवान गणेश को दुर्वा कीगांठें, जानिए इसका रहस्य

शास्त्रों में प्रथम पूज्य भगवान गणेश जी की पूजा बुधवार करने का विधान है. वैसे तो भगवान गणेश की पूजा किसी भी पूजा के पहले की जाती है. लेकिन बुधवार को गजानंद के भक्त पूरे विधि-विधान के साथ उनकी अराधना करते हैं. गणशे जी की पूजा में दूर्वा जरूर होता है. क्योंकि श्री गणेश को दूर्वा बहुत प्रिय है. .
मोदक और लड्डू का भोग तो भगवान गणेश जी को अति प्रिय है ही इसके अलावा गणेश जी को ‘दूर्वा’ चढ़ाने का भी काफी महत्व है। कहा जाता है कि गणेश पूजन में गणेश जी को दूर्वा अर्पित करने से गणेश जी प्रसन्न होते हैं और भक्त को उनकी विशेष कृपा प्राप्त होती है।
आपको बता दें कि ‘दूर्वा’ एक प्रकार की घास है जिसे ‘दूब’ भी कहा जाता है, संस्कृत में इसे दूर्वा, अमृता, अनंता, गौरी, महौषधि, शतपर्वा, भार्गवी आदि नामों से जाना जाता है। ‘दूर्वा’ कई महत्वपूर्ण औषधीय गुणों से युक्त है। मान्यता है कि समुद्र मंथन के समय जब समुद्र से अमृत-कलश निकला तो देवताओं से इसे पाने के लिए दैत्यों ने खूब छीना-झपटी की जिससे अमृत की कुछ बूंदे पृथ्वी पर भी गिर गईं थी जिससे ही इस विशेष घास ‘दूर्वा’ की उत्पत्ति हुई।

chaliye sabse pehle jante hain ki durva kya hoti hai
दूब या दुर्वा वर्ष भर पायी जाने वाली घास है जो जमीन पर पसरते हुए या फैलते हुए बढ़ती है। हिन्दू संस्कारों एवं कर्मकाण्डों में इसका उपयोग किया जाता है तथा वर्ष में दो बार सितम्बर-अक्टूबर और फरवरी-मार्च में इसमें फूल आते हैं।
यह एक प्रकार की घास होती है, जो सिर्फ गणेश पूजन में ही उपयोग में लाई जाती है.

आखिर श्री गणेश को क्यों इतनी प्रिय है दूर्वा? इसके पीछे क्या कहानी है? क्यों इसकी 21 गांठें ही श्री गणेश को चढ़ाई जाती है?

ऐसा माना जाता है कि दुर्वा की 21 गांठें अगर भगवान गणेश को चढ़ाने से हर मनोकामना पूर्ण होती है. इसके पिछे एक पौराणिक कथा है एक पौराणिक कथा के अनुसार प्राचीनकाल में अनलासुर नाम का एक दैत्य था, उसके कोप से स्वर्ग और धरती पर त्राहि-त्राहि मची हुई थी। अनलासुर एक ऐसा दैत्य था, जो मुनि-ऋषियों और साधारण मनुष्यों को जिंदा निगल जाता था। इस दैत्य के अत्याचारों से त्रस्त होकर इंद्र सहित सभी देवी-देवता, ऋषि-मुनि भगवान महादेव से प्रार्थना करने जा पहुंचे और सभी ने महादेव से यह प्रार्थना की कि वे अनलासुर के आतंक का खात्मा करें।

तब महादेव ने समस्त देवी-देवताओं तथा मुनि-ऋषियों की प्रार्थना सुनकर उनसे कहा कि दैत्य अनलासुर का नाश केवल श्री गणेश ही कर सकते हैं। फिर सबकी प्रार्थना पर श्री गणेश ने अनलासुर को निगल लिया, तब उनके पेट में बहुत जलन होने लगी।

इस परेशानी से निपटने के लिए कई प्रकार के उपाय करने के बाद भी जब गणेशजी के पेट की जलन शांत नहीं हुई, तब कश्यप ऋषि ने दूर्वा की 21 गांठें बनाकर श्री गणेश को खाने को दीं। यह दूर्वा श्री गणेशजी ने ग्रहण की, तब कहीं जाकर उनके पेट की जलन शांत हुई। ऐसा माना जाता है कि श्री गणेश को दूर्वा चढ़ाने की परंपरा तभी से आरंभ हुई।

दूर्वा चढ़ाने के नियम
मान्यता है कि दूर्वा घास के 11 जोड़ों को भगवान गणेश को चढ़ाना चाहिए. दूर्वा को चढ़ाने के लिए किसी साफ जगह से ही दूर्वा घास को तोड़ना चाहिए. गंदी जगहों से कभी भी दूर्वा घास को नहीं तोड़ना चाहिए. दूर्वा चढ़ाते समय गणेशजी के 12 मंत्रों का जाप जरूर करें.

श्री गणेश : दूर्वा चढ़ाने के मंत्र
ॐ सुमुखाय नमः
ॐ एकदंताय नमः
ॐ कपिलाय नमः
ॐ गजकर्णाय नमः
ॐ लंबोदराय नमः
ॐ विकटाय नमः
ॐ विघ्ननाशाय नमः
ॐ विनायकाय नमः
ॐ धूम्रकेतवे नमः
ॐ गणाध्यक्षाय नमः
ॐ भालचंद्राय नमः
ॐ गजाननाय नमः

गणेश जी को हमेशा दूर्वा का जोड़ा बनाकर चढ़ाना चाहिए यानि कि 22 दूर्वा को जोड़े से बनाने पर 11 जोड़ा दूर्वा का तैयार हो जाता है।

दूर्वा भगवान श्री गणेश को बहुत प्यारी है। गणेशजी को दूर्वा चढ़ाना बहुत ही शुभ और लाभकारी माना जाता है। एकमात्र गणेश जी एक ऐसे देव हैं, जिन्हें यह दूब पूजन में काम में ली जाती है। दूर्वा एक तरह की घास होती है जो प्राय बाग—बगीचों में मिल ही जाती है।

दूर्वा को जड़ सहित तोड़कर और पवित्र जल से साफ करके 21 दूर्वाओं को मिलाकर मोली से गांठ बांध दी जाती है और फिर इसे पूजन थाल में रख दिया जाता है

rahu ke parbhav ko shaant kar sakti hai durva

English Translation

Why are the knots of Durva offered to Lord Ganesha, know its secret.

In the scriptures, there is a law to worship the first revered Lord Ganesha on Wednesdays. By the way, Lord Ganesha is worshiped before any worship. But on Wednesday, the devotees of Gajanand worship him with full rituals. Durva is definitely present in the worship of Ganesha. Because Durva is very dear to Shri Ganesha. .
The enjoyment of Modak and Laddu is very dear to Lord Ganesha, apart from this, offering ‘Durva’ to Ganesha is also very important. It is said that by offering Durva to Lord Ganesha in Ganesh Puja, Lord Ganesha is pleased and the devotee gets his special blessings.
Let us tell you that ‘Durva’ is a type of grass which is also called ‘Dub’, in Sanskrit it is known by the names of Durva, Amrita, Ananta, Gauri, Mahaushadhi, Shataparva, Bhargavi etc. ‘Durva’ has many important medicinal properties. It is believed that when the nectar-urn came out of the ocean at the time of churning of the ocean, the demons snatched it a lot to get it from the gods, due to which some drops of nectar also fell on the earth, due to which this special grass ‘Durva’ originated. .

chaliye sabse pehle jante hain ki durva kya hoti hai
Doob or Durva is a year-round grass that grows by spreading or spreading on the ground. It is used in Hindu rituals and rituals and flowers twice a year in September-October and February-March.
This is a type of grass, which is used only in Ganesh worship.

After all, why is Durva so dear to Shri Ganesh? What’s the story behind it? Why only 21 bales of this are offered to Shri Ganesh?

It is believed that if 21 bales of Durva are offered to Lord Ganesha, every wish is fulfilled. There is a legend behind it, according to a legend, in ancient times there was a demon named Analasura, his wrath caused havoc on heaven and earth. Analasura was such a demon, who used to swallow alive the sages and ordinary people. Frustrated by the atrocities of this demon, all the gods and goddesses, including Indra, went to pray to Lord Mahadev and all prayed to Mahadev to put an end to the terror of Analasura.

Then Mahadev heard the prayers of all the deities and sages and told them that only Shri Ganesha can destroy the demon Analasura. Then on the request of everyone, Shri Ganesh swallowed Analasura, then there was a lot of burning in his stomach.

Even after taking various measures to deal with this problem, when the burning sensation of Ganesha’s stomach did not subside, then Kashyap Rishi made 21 knots of Durva and gave them to Shri Ganesha to eat. Shri Ganeshji accepted this Durva, then after going somewhere the burning sensation of his stomach subsided. It is believed that the tradition of offering Durva to Shri Ganesha started since then.

rules for offering durva
It is believed that 11 pairs of Durva grass should be offered to Lord Ganesha. To offer Durva, the grass of Durva should be broken from a clean place. Durva grass should never be plucked from dirty places. While offering Durva, one must chant the 12 mantras of Ganesha.

Shree Ganesh: Mantra to offer Durva
Om Sumukhay Namah
Om Ekadantay Namah
Om Kapilaya Namah
Om Gajkarnay Namah
Om Lambodaraya Namah
Om Vikatay Namah
Om Vighnashaaya Namah
Om Vinayakaya Namah
Om Dhumraketve Namah
Om Ganadhyakshaya Namah
Om Bhalchandraya Namah
Om Gajananay Namah

Ganesh ji should always be offered by making a pair of Durva, that is, by making 22 Durva in pairs, 11 pairs of Durva are ready.

Durva is very dear to Lord Ganesha. Offering Durva to Ganesha is considered very auspicious and beneficial. Lord Ganesha is the only such deity, who is used in worshiping this Doob. Durva is a kind of grass which is often found in gardens.

After breaking the durva along with the root and cleaning it with holy water, 21 durva is mixed and tied with moli and then it is kept in the puja thal.

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