एक दिन एक लकड़हारा जंगल से गुजर रहा था। एक स्थान पर उसने देखा कि एक बाज किसी बहेलिए द्वारा बिछाए गए जाल में फँस गया है। लकड़हारे को बाज पर दया आ गई।
उसने दौड़कर बाज को जाल से आजाद कर दिया। बाज ने लकड़हारे का शुक्रिया अदा किया और वहाँ से उड़ गया। एक दिन लकड़हारा एक टीले पर बैठकर खाना खा रहा था।
अचानक कहीं से वही बाज आया और झपट्टा मारकर उसका खाना लेकर उड़ गया। फिर वह पास के पेड़ पर बैठ गया। अपना खाना बचाने के चक्कर में लकड़हारे का संतुलन बिगड़ गया था।
वह टीले से गिर पड़ा। लकड़हारे ने बाज को गौर से देखा और उसे तुरंत पहचान गया। उसे उस एहसानफरामोश बाज के ऊपर बहुत गुस्सा आया।
लेकिन बाज बोला,”श्रीमान्, आपके पीछे एक जहरीला साँप आपको डसने के लिए बैठा था। मैंने आपके खाने पर झपट्टा मारकर आपको उस स्थान से हटा दिया, ताकि वह साँप आपको न डस सके।”
लकड़हारे ने पीछे मुड़कर साँप को देखा तो उसे बाज की बात का विश्वास हुआ। उसने बाज को अपनी जिंदगी बचाने के लिए धन्यवाद दिया।